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भिलाई

#सीजी धरोहर -3 छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में गुरूकुल विद्यापीठ की तरह होती है संस्कृत की पढ़ाई : Video

दुर्ग जिला मुख्यालय से बेमेतरा मार्ग पर लगभग 25 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध सगनी घाट स्थित है। यहां पर श्रीराम जानकी मंदिर में स्वामी सूजनानंद वैदिक गुरूकुल विद्यापीठ में संस्कृत की शिक्षा दी जाती है।

भिलाईFeb 20, 2019 / 06:45 pm

Satya Narayan Shukla

Bhilai patrika

सीजी धरोहर -3 छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में गुरूकुल पद्धति से होती है संस्कृत की पढ़ाई

भिलाई@Patrika. दुर्ग जिला मुख्यालय से बेमेतरा मार्ग पर लगभग 25 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध सगनी घाट स्थित है। यहां पर श्रीराम जानकी मंदिर में स्वामी सूजनानंद वैदिक गुरूकुल विद्यापीठ में संस्कृत की शिक्षा दी जाती है। संस्कृत पढऩे के इच्छुक बच्चों को कक्षा पांचवी के बाद छठवीं से 10 वीं तक शिक्षा दी जाती है। अध्यापन का काम चार संस्कृत के प्रधानाचार्य कृष्णमुरारी, सहायक आचार्य अनुज राम, चंपेश पटेल और शिव साहू कराते हैं। बताया जाता है कि मंदिर की स्थापना सुजनानन्द महाराज ने ग्राम निर्माण योजना के तहत कि है।
सुबह 4 बजे के दिनचर्या की शुरुआत
आवासीय वैजिक गुरुकुल विद्यापीठ में अल सुबह 4 बजे से दिनचर्या की शुरुआत होती है। स्नान के बाद सभी बच्चे योगाभ्यास और प्राणायाम करते हैं। इसके बाद प्रार्थना के साथ पढ़ाई शुरू होती है।@Patrika वहीं शाम को संध्या आरती अनविार्य रूप से की जाती है। यहां अध्य्यनरत बच्चों को सभी काम खुद करने पड़ते है। इनमें कपड़े धोने से बिस्तर बिछाने, उठाने और भोजन के बर्तन धोना शामिल हैं। माता-पिता को बच्चों से मिलने के लिए महीने में सिर्फ एक ही दिन निर्धारित है। इसके बाद मिलने नहीं दिया जाता है।
पर्यटन केंद्र भी है
सगनीघाट को तीन नदियों का संगम है। आमनेर, शिवनाथ और डुमनेर नदी यहां पर मिलती है। इसलिए इसे त्रिसंगम घाट भी कहा जाता है। माघ पूर्णिमा (छेरछेरा पुन्नी) पर यहां विशाल मेला लगता है। मेले के दौरान लाखों लोगों मंदिर में दर्शन-पूजन के आते हैं। पूजा के पहले पवित्र नदी में स्नान कर श्रद्धालु पुण्य लाभ कमाते हैं। स्नान के बाद मंदिर में स्थापित भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण का दर्शन-पूजन करते हैं। @Patrika यहां ऐसी मान्यता है कि पर्व विशेष पर आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती है। तीन दिवसीय मेले की शुरुआत श्रीमद्भागवत कथा के समापन से होती है। मेले में देश के विभिन्न शहरों से संत महात्माओं का आगमन और उनका प्रवचन भी होता है।

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