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भिलाई

कॉलेजों से बार-बार जानकारी मांगने से नहीं मिला रिस्पसांस, CSVTU ने हटाए वरिष्ठता सूची से 140 के नाम

छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय ने नई वरिष्ठता सूची तैयार कर ली है। ऐसा पहली मर्तबा हुआ है कि जब वरिष्ठता सूची से करीब 140 नाम एकाएक हटा दिए गए हैं।

भिलाईMar 17, 2019 / 11:04 am

Dakshi Sahu

PATRIKA

कॉलेजों से बार-बार जानकारी मांगने से नहीं मिला रिस्पसांस, CSVTU ने हटाए वरिष्ठता सूची से 140 के नाम

भिलाई. छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय ने नई वरिष्ठता सूची तैयार कर ली है। ऐसा पहली मर्तबा हुआ है कि जब वरिष्ठता सूची से करीब 140 नाम एकाएक हटा दिए गए हैं। इनमें कई कॉलेजों के प्राचार्य, सहा. प्राध्यापक व एसोसिएट प्रोफेसर शामिल हैं। विवि प्रशासन का कहना है कि कॉलेजों से बार-बार जानकारी मांगने के बाद भी कोई रिस्पांस नहीं मिला।
वरिष्ठता सूची का प्रकाशन कर दिया
इंजीनियरिंग सहित विभिन्न कॉलेज विवि के निर्देश की अवहेलना करते रहे। विवि ने जिनके नाम हटा दिए हैं, उनमें वे प्राचार्य व सहायक प्राध्यापक शामिल हैं, जो वर्तमान में उक्त कॉलेजों में कार्यरत ही नहीं हंै, लेकिन संस्था में उन्हें मौजूद दिखाया गया। कॉलेजों ने जानकारी नहीं भेजी तो विवि ने अपने स्तर पर पड़ताल कर वरिष्ठता सूची का प्रकाशन कर दिया।
25 मार्च तक दावा आपत्ति
हालांकि जिनके नाम सूची में दर्ज नहीं किए गए हैं, उन्हें 25 मार्च तक दावा-आपत्ति के लिए समय दिया गया है। विवि प्रशासन ने नई वरिष्ठता सूची को 1 जनवरी 2019 के तहत तैयार किया है। रजिस्ट्रार सीएसवीटीयू डीएन सिरसांत ने बताया कि कई संस्थानों ने वरिष्ठता सूची के लिए जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। विवि ने उनके नाम हटाए हैं। उन्हें तय तिथि में दावा-आपत्ति करनी होगी। यह फिलहाल अनंतिम सूची है। बाद में संशोधन के बाद अंतिम सूची जारी करेंगे।
3 नॉनटेक प्राचार्य के नाम ज्यों के त्यों
विवि की वरिष्ठता सूची में प्राचार्यों के 17 नाम दिए गए हैं। जबकि विवि से संबंध कॉलेजों की संख्या इसकी ८ गुना है। विवि के पास शेष कॉलेजों के प्राचार्यांे की कोई जानकारियां भेजी ही नहीं गई। सूत्रों के मुताबिक विवि को गुमराह करने के लिए उन्हें छुट्टी पर बताया गया, जबकि कई संस्थानों में प्राचार्य वर्षों से नहीं है।
फिलहाल विवि की वरिष्ठता सूची में प्राचार्य के 14 नाम तो ठीक है, लेकिन ३ प्राचार्यों के लिए विवाद की स्थिति है। तीनों प्राचार्य इंजीनियरिंग बैगराउंड से नहीं है, बल्कि नॉनटेक है, जिन्हें संस्था ने प्राचार्य बना दिया। एआइसीटीई के नियमों से इंजीनियरिंग कॉलेजों का प्राचार्य बनने के लिए इंजीनियरिंग की डिग्री होना जरूरी है, जबकि यह तीनों भूगोल जैसे विषयों के प्रोफेसर हैं।
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