छत्तीसगढ़ जनता जोगी कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष व देव के पिता भागवत प्रसाद ने बताया कि जिस तरह से बेटे देव ने कॉपी में तीन स्टेप में सुसाइड करने की प्लानिंग की है, यह अक्सर ब्लूवेल और पब्जी गेम में किया जाता है। हालांकि जब वह परीक्षा देकर आया शाम को उसे पडऩे के लिए सामन्य तौर पर थोड़ी डांट लगाई थी। इसके बाद मंदिर में पूजा सामग्री लेने के लिए चला गया। पता चला कि देव ने फांसी लगा लिया है।
देव के बड़े भाई सन्नी यादव ने बताया कि देव पडऩे में मेधावी था। गुरुवार को हमसे कहा कि डॉग पम्मी के लिए अंडे लेकर आया हूं। मुझे एक शादी पार्टी में जाना था। शुक्रवार को उसका बैग चेक किया तो एक कॉपी मिली। उस पर सुसाइड की प्लानिंग की स्केच बनी है। उसने अपने फेसबुक आइडी में जितने दोस्त है उन्हें ब्लॉक कर दिया है। मैं घर से चला गया था। मेरे भाई को कोई परेशानी थी तो एक बार बोलता तो सही और बड़ा भाई रो पड़ा।
मृतक छात्र के परिजनों ने बताया कि देव अंगूठी नहीं पहनता था, लेकिन मौत के दिन वह किंग वाली अंगूठी पहना था। सन्नी ने कहा कि उसे सोने की अंगूठी दिया, लेकिन वह कभी नहीं पहना। लेकिन घटना के दिन उसकी उंगली में किंग मोनो बनी एक अगूंठी मिली। यह कोई ऑनलाइन टॉस्क गेम है। जो अपनी ट्यूशन कॉपी में पेन से लिखा है। अंगूठी से शक हो रहा है।
स्टेप-1
जब हिम्मत हो, कर सको, तो ही शर्त लगाओ
बहुत हिम्मत है मेरे अंदर..ओके..। स्टेप-2
कल तक नहीं होगा.. कैमेस्ट्री में कार्बन कंपाउंट में लिखा है।… होगा देव का साइन किया है।
एक लड़के का पुतला स्केच से बनाया। उस पुतला की गर्दन में बाथरूम के रोशनदान में लगे एंगल से रस्सी का स्केच बना है। साइड में लिखा हॉरेबल। 100/100 गोला किया हुआ है। देव की जन्म तिथि 11 जून 2004 लिखकर काट दिया। फिर अपना साइन किया।
एसएसपी अजय यादव ने बताया कि 10 वीं के छात्र ने बाथरुम में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। पैरेट्स की डांट का कारण आ रहा था, लेकिन शुक्रवार को एक डायरी मिली है। उसमें मौत के तरीके को दर्शाया है। टीआई को जांच करने के लिए कहा है। फिलहाल पूछताछ में पब्जी और ब्लूवेल गेम की बात नहीं आई है।
मनोचिकित्सक डॉ. प्रमोद गुप्ता ने बताया ऑनलाइन गेम चैलेजिंग होते हंै। बच्चे खेलते-खेलते इसमे डूब जाते हैं। गेम को अपनी जिंदगी का पार्ट समझ बैठते हैं। यदि वह दिए गए टारगेट को पूरा नहीं कर पाते, गेम में फेल होने लगते है तब बच्चे नकारात्मक कदम उठाने लगते हैं। गुस्सा, आक्रोश, अंतरमुखी, अकेलापन, और आत्मविश्वास की कमी होने लगती है। इसके बाद कई बार यह आत्महत्या की वजह बन जाती है।