नगर निगम प्रशासन, भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन और पुलिस को हमारी कितनी फिक्र है देख लीजिए। सूरत के कोचिंग सेंटर जैसे हमारे शहर में संचालित संस्थानों के भी हाल हैं। भगवान न करे अगर यहां भी कभी ऐसे हादसे हो गए तो बच्चों की जान मुश्किल में पड़ जाएगी, लेकिन जिम्मेदारों को इसकी कोई परवाह ही नहीं है। डीआइजी ने सभी कोचिंग सेंटर्स में अग्रि हादसों से बचाव के इंतजाम की जांच के आदेश दिए हैं, मगर जिला पुलिस दो दिन में जांच टीम भी नहीं बना पाई।
डीआइजी रतन लाल डांगी ने शहर के सभी कोचिंग व ट्यूशन सेंटरों में सुरक्षा इंतजाम की जांच करने का आदेश जारी किया है। यह अभियान केवल दुर्ग जिला ही नहीं बल्कि बालोद, बेमेतरा व राजनादगांव में भी चलेगा। इसके लिए एएसपी के निर्देश में एक टीम बनाई जाएगी। जो मौके पर जाकर सुरक्षा मापदंडों को देखेगी। डीआइजी के इस फरमान के बाद सभी जिले के एसपी अपने अधीनस्थ अधिकारियों को जांच कर रिपोर्ट मांगी है। हालांकि जांच के लिए समय सीमा का निर्धारण नहीं किया गया है।
एएसपी दुर्ग रोहित झा ने इस मामले में कहा कि कोचिंग व ट्यूशन सेंटरों की सुरक्षा ऑडिट करने का आदेश डीआइजी ने दिया है। जल्द ही टीम बनाकर काम शुरू करेंगे। दरअसल सुरक्षा संबंधी व्यवस्था है कि नहीं, इसे नगर निगम और बीएसपी प्रबंधन को देखना है। शर्त और नियम क्या है, इसके बारे में जानकारी लेकर हमारी टीम सुरक्षा की ऑडिट करेगी।
अधिकारियों का कहना है कि हर जिले की टीम को एएसपी स्तर के अधिकारी लीड करेंगे। टीआई अपने-अपने क्षेत्र में संचालित कोचिंग व ट्यूशन सेंटर की सूची बनाकर स्थल निरीक्षण करेेंगे। इसके बाद सभी अपनी रिपोर्ट एएसपी को देंगे।
1. भवन नक्शे के हिसाब से बना है कि नहीं?
2. भवन पूर्णता प्रमाण पत्र की शर्तों का पालन किया जा रहा है या नहीं?
3. भवन बनाते समय अनुमति कोचिंग संस्थान संचालित करने ली है या किसी अन्य प्रयोजन से?
4. व्यावसायिक प्रायोजन के लिए फायर सेफ्टी व अलार्म की व्यवस्था है कि नहीं?
5. आपातकालीन दरवाजा है या नहीं?
6. भवन बनाते समय ओपन स्पेस छोड़ा गया है कि नहीं