शनिवार की रात को बीबीएम के बिलेट यार्ड के क्रेन नंबर-28 में मेंटनेंस का काम चल रहा था। यहां क्रेंन मेंटनेंस का ठेका ठेकेदार राजेश सिन्हा ने लिया है। ठेकेदार के पास वेल्डर के तौर पर काम कर रहे मोहम्मद मुस्ताक क्रेन के केबिन में वेल्डिंग का काम कर रहा था। थोड़ी देर बाद कर्मियों ने देखा कि उसके शरीर में कोई हलचल नहीं है। दौड़कर कर्मचारी उसे नीचे उतारे, इसके बाद सीधे मेन मेडिकल पोस्ट लेकर गए। जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। इसके बाद शव को सेक्टर-9 हॉस्पिटल के मारच्यूरी में रखवा दिए।
रविवार को सुबह 9 बजे से पीडि़त परिवार व श्रमिक संगठन सीटू व इंटक मांग कर रहे थे कि प्रबंधन एक आश्रित को नौकरी देने का पत्र दे। इसके साथ-साथ ठेकेदार मुआवजा दे। प्रबंधन की ओर से आईआर विभाग के उप महाप्रबंधक एसके सोनी प्रबंधन का पक्ष रख रहे थे। प्रबंधन से करीब ढाई घंटे चर्चा किया। बीच-बीच में हंगामा भी हुआ, तब जाकर प्रबंधन ने नौकरी देने का पत्र पीडि़त परिवार को सौंपा।
इसके बाद ठेकेदार ने मुआवजा के तौर पर 2.5 लाख रुपए का चेक पीडि़त परिवार को सौंपा। अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में पत्र भी दिए। इससे मृतक की पत्नी व ३ आश्रित बच्चों को राहत मिलेगी। इसके बाद शव को लेकर पीएम करवाने परिवार व परिजन रवाना हुए। इस दौरान इंटक महासचिव एसके बघेल, संतोष किचलू, चंद्रशेखर सिंह, संजय साहू, सीपी वर्मा, दीनानाथ सिंह सार्वा, राजकुमार, विपिन बिहारी मिश्रा, मुकेश तिवारी, सीटू से योगेश सोनी, जमील अहमद, अली अकबर, मीर अली, कमलेश चोपड़ा, सन्याशी साहू, डीवीएस रेड्डी, केवेंद्र सुंदर, जगन्नाथ त्रिवेदी, पीके मुखर्जी मौजूद थे।
हादसे के बाद हॉस्पिटल में रात से ही सीटू के ठेका श्रमिक से जुड़े पदाधिकारी डटे रहे। सुबह फैसला होने के बाद योगेश सोनी ने कहा कि यह संघर्ष की जीत है।
इधर बीडब्ल्यूयू के अध्यक्ष उज्जवल दत्ता ने कहा कि शव को रखकर दर्द से कराह रहे परिवार को प्रदर्शन नहीं करना पड़े। इस दिशा में यूनियन को प्रयास करना चाहिए। अगर नियम ही बन जाए, चाहे मौत किसी भी वजह से संयंत्र में काम के दौरान हो, तो प्रबंधन पीडि़त परिवार के एक आश्रित को नौकरी देगा। यह बेहतर होगा। इसके साथ-साथ प्रबंधन सेफ्टी का ही प्रशिक्षण न दे, साथ में तकनीकी प्रशिक्षण दे, तो हादसे कम हो जाएंगे।