सांस लेने में हो रही थी तकलीफ
मृतक के मामा मदन चौहान ने बताया कि मठपारा वार्ड-3, दुर्ग में रहने वाले उनके 45 साल के भांजे को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। तब परिवार के सदस्यों के साथ बाइक में वह 13 अप्रैल 2021 को जिला अस्पताल, दुर्ग पहुंचा। इसके पहले 9 अप्रैल को उसने रेपिड एंटीजन टेस्ट और आरटीपीसीआर जांच करवा लिया था। आरएटी में पॉजिटिव नहीं आया था, लेकिन सांस लेने में परेशानी हो रही थी। यहां सामान्य वार्ड में दाखिल कर उसका ऑक्सीजन लेवल जांच किए तो 35 के आसपास आ रहा था। तब उसे ऑक्सीजन दिए। इसके बाद ऑक्सीजन लेवल 81 के आसपास पहुंच गया।
शवों के करीब इंतजार करने रखा
मामा ने बताया कि 15 अप्रैल को आरटीपीसीआर की रिपोर्ट आ गई। जिसमें पॉजिटिव बताया गया। तब उसे दोपहर बाद करीब 3 बजे कोविड केयर सेंटर, दुर्ग में शिफ्ट करने लेकर गए। जहां पर ले जाकर बेड खाली होने का इंतजार करने बैठा दिए। जिस स्थान पर मरीज को बैठाकर रखे थे, वहां पर पहले से जमीन में कुछ शव रखे हुए थे। इससे अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीज पर क्या बीत सकता है यह समझा जा सकता है।
रात में बहन से हुई बात
मृतक की बहन ने बताया कि गुरुवार की रात करीब 8 बजे उसने अपने भाई को फोन किया। पहले उसने फोन नहीं उठाया। इसके बाद वापस फोन किया और बताया कि खाना खा चुका है और अब सोने के लिए जा रहा है। इस तरह से वह उस वक्त आराम से बात किया। इसके बाद फोन बंद हो गया।
सुबह लाकर दिए खाना
मामा के मुताबिक शुक्रवार की सुबह मृतक का बेटा खाना लाकर बाहर दिया। कोविड केयर सेंटर में मरीज का नाम लिखकर खाना बाहर से ही दे दिया जाता है। अस्पताल में मौजूद स्टाफ उसे मरीज तक पहुंचा देता है। यहां से खाना को ले लिए। तब भी कोई जानकारी नहीं दिए कि मरीज की हालत कैसी है।
नहीं उठाया फोन तो हड़बड़ा के पहुंचे अस्पताल
मामा ने इसके बाद शुक्रवार को दोपहर 2 बजे फोन किए। फोन बंद बताया तब वे अस्पताल में फोन करके पूछे तो कहा गया कि इस नाम का कोई मरीज दाखिल नहीं है। तब वे भागते हुए अस्पताल पहुंचे। यहां आकर ऊपर और नीचे दाखिल मरीजों में तलाश किए तो उसकी कोई जानकारी नहीं मिली। वे निराश हो गए कि आखिर मरीज अस्पताल से गया कहां। अस्पताल में मरीजों को लेकर रजिस्टर में जानकारी नहीं रखी जाती है क्या।
परिचित वाले ने दी जानकारी
मामा ने बताया कि अस्पताल के परिचित वाले ने बताया कि जिस व्यक्ति का नाम बता रहे हैं, उसका शव मरच्यूरी में रखा हुआ है। यह सुनकर सीधे जिला अस्पताल, दुर्ग के मरच्यूरी में गए। वहां जाकर पता किया तो बताया गया कि उक्त व्यक्ति की मौत 15 अप्रैल को ही रात 11 बजे हो गई थी। सवाल उठता है कि तब से लेकर अब तक परिवार को अस्पताल की ओर से सूचना क्यों नहीं दी गई। इसके बाद भी परिवार के सदस्यों ने शनिवार को अंतिम संस्कार करने का फैसला किया और लौट गए।
पुलिस में की शिकायत
मरच्यूरी में सुबह पहुंचे और जब फ्रिजर से शव को निकाला गया तो देखा कि शव खून से लथपथ है। मरच्यूरी में मौजूद अन्य शवों को देखा तो उनमें से किसी के भी सिर के नीचे खून एकत्र नहीं था। तब वे भड़क गए। इसकी शिकायत उन्होंने पहले स्थानीय विधायक अरुण वोरा और कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे से किया। इसके साथ-साथ मृतक का मोबाइल, अंगूठी व दस्तावेज भी शव के साथ नहीं था। जिसकी परिजनों ने लिखित शिकायत सिटी कोतवाली में की है। जहां से जांच करवाने का भरोसा मिला है।
गृहमंत्री से की लिखित शिकायत
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू से लिखित शिकायत कर पीडि़त परिवार ने कहा है कि मौत संदिग्ध हालात में हुई है। जिस तरह से मौत होने के बाद जानकारी नहीं दी गई और शव के सिर के नीचे बहुत सा खून एकत्र हो चुका था। कोरोना के दूसरे तमाम शव में ऐसा नहीं है। इसके अलावा पूरे घटनाक्रम की जानकारी भी दी गई।
कमेटी गठित कर हो जांच
जीवनदीप समिति, सदस्य, दुष्यंत देवांगन ने कहा कि कलेक्टर से पीडि़त परिवार ने शिकायत की है, इस मामले में कमेटी गठित कर जांच करवाने की जरूरत है। जिससे इसके बाद फिर इस तरह की घटना सामने न आए। अन्यथा लोगों का विश्वास उठेगा हमारी स्वास्थ्य सेवाओं से।