दरअसल मृतक का बेटा नाबालिग है और उसके पिता की कोरोना से मौत होने की बात मोहल्ले में सभी को मालूम है। इस वजह से कोई भी उस बच्चे को लेकर मुक्तिधाम नहीं गया। लोगों को यह अंदेशा था कि बच्चे को लेकर जाते हैं तो वे भी संक्रमित हो जाएंगे। इस वजह से शव को एक दिन और अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा। किसी तरह जब दूर का एक रिश्तेदार को मौत की जानकारी मिली तो वह मंगलवार को नाबालिग बेटे को लेकर मुक्तिधाम पहुंचा। तब शास्त्री अस्पताल के मरच्यूरी से शव को लाया गया और अंतिम संस्कार किया गया। यह विडंबना है कि कोरोना के भय से आसपास में एक दूसरे की मदद करने से भी लोग कतरा रहे हैं। संक्रमण और लगातार हो रही मौतों को देखकर लोग चाहकर भी एक दूसर की मदद नहीं कर पा रहे हैं।