राजनांदगांव। पुलिस द्वारा कट्टीपार के लिए ले जाए जा रही गायों को गौशालों में दिए जाने के बाद उनके गायब हो जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। नेशनल हाइवे में चिचोला के पास बंजारी में संचालित गौशाला में वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2012 तक सौंपे गए एक हजार से ज्यादा गायों के संंबंध में किसी तरह की जानकारी नहीं मिल रही है। गौशाला संचालक 2012 से गौशाला बंद होने की बात कर पूरे मामले से पल्ला झाड़ रहा है जबकि इस संबंध में सांगिनकछार के ग्रामीणों ने सोमवार को कलक्टर और एसपी से मिलकर पूरे मामले की जांच की मांग की है।
पूरे मामले का खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों से हो रहा है। सांगिनकछार निवासी टेकराम वर्मा ने पशु चिकित्सा विभाग में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाकर बंजारी में शिवशंकर गौरक्षा समिति चिचोला को लेकर जानकारी मांगी थी। उसने गौशाला संचालक मोहन सिन्हा पिता धनसाय सिन्हा के कार्यकाल 2007 से लेकर 2013 तक को लेकर मवेशियों की संख्या सहित आठ बिंदुओं में जानकारी चाही थी। इस आधार पर पशु चिकित्सा विभाग ने मोहन सिन्हा और चिचोला पुलिस को पत्र लिखकर जानकारी मांगी थी।
पुलिस ने कहा, हजार से ज्यादा गाएं दींचिचोला पुलिस चौकी ने दिसम्बर 2007 से लेकर अक्टूबर 2012 तक की अवधि में जब्त किए गए मवेशियों का विस्तार से विवरण दिया है। इस विवरण में यह भी कहा गया है कि 1084 पशुओं को स्वास्थ्य विभाग और
शिव शंकर गौ रक्षा समिति के सुपुर्द किया गया है। दी गई जानकारी के अनुसार इनमें 369 गाय, 41 बछिया, 174 बैल, 132 बछड़ा, 135 भैंस, 1 पडिय़ा, 219 भैंसा और 13 पड़वा हैं।
गौशाला ने कहा, कोई जानकारी नहीं गौशाला संचालक मोहन सिन्हा ने गौशाला को लेकर दस्तावेज प्रस्तुत करने के उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं के पत्र के जवाब में कहा है कि चूंकि अक्टूबर 2012 यानि 64 महीने पहले गौशाला बंद हो गई है, ऐसे में न ही वहां कोई कर्मचारी है और न ही कार्यालय है और न ही कोई दस्तावेज उपलब्ध है। सिन्हा से साफ लिखा है कि गौशाला के संबंध में कोई भी जानकारी दिया जाना संभव नहीं है।
जांच की मांग
कलक्टर भीम सिंह और एसपी प्रशांत अग्रवाल से दस्तावेजों के साथ शिकायत करते हुए सांगिनकछार निवासी टेकराम वर्मा, कृष्णकुमार वर्मा, सेवाराम साहू, हेमसिंह साहू, नूतनराम साहू, तेजराम साहू ने कहा है कि पुलिस विभाग ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक गौशाला को गायें दी गई थीं जबकि गौशाला संचालक कह रहा है कि उसके पास किसी तरह का दस्तावेज नहीं है, न ही कोई जानकारी है। ग्रामीणों ने मांग की है कि गौशाला बंद होने के पहले वहां कई गायें थीं और शासन से अनुदान भी मिलता था। ऐसे में अब गायें कहां चली गईं, इसकी जांच होनी चाहिए।
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