आयुष्मान कार्ड से उपचार की सुविधा
शंकरा हॉस्पिटल, जुनवानी में अशोक कुमार 42 साल को 28 नवंबर 2022 की शाम 7.30 बजे के बाद दाखिल किए। पीडि़त परिवार की जानकारी में था कि आयुष्मान कार्ड से इलाज होता है। मरीज को पांच साल पहले लकवा हुआ था। जिसकी वजह से घर की माली हालत खराब है। परिवार निजी अस्पताल में इस वजह से नहीं गया और आयुष्मान कार्ड का जहां उपयोग कर इलाज हो सकता है, उस अस्पताल तक पहुंचा था।
ओपन नहीं हो रहा पीएम आयुष्मान कार्ड
इलाज के दौरान गुरुवार को दोपहर करीब 12.30 बजे अशोक ने दम तोड़ दिया। पीडि़त परिवार यह खबर सुनकर बिलख पड़ा। तब मृतक के भाई शेखर ने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि जल्द ही कागजी कार्रवाई पूरी कर शव को सुपुर्द कर दो। जिससे अंतिम संस्कार शाम होने से पहले किया जा सके। कुछ देर बाद पीडि़त परिवार को बताया गया कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन अरोग्य योजना का आयुष्मान कार्ड ओपन नहीं हो रहा है।
देना होगा नकद
प्रबंधन ने पीडि़त परिवार को बताया कि आयुष्मान कार्ड ओपन नहीं हो रहा है। जिसकी वजह से इलाज का 17,990 रुपए और दवा का 6,690 रुपए जमा करने कहा गया। पीडि़त परिवार ने बताया कि उनके पास नकद नहीं है। इस वजह से आयुष्मान कार्ड से इलाज करवाने इस अस्पताल में आए थे।
जनप्रतिनिधि के निवास से गया फोन तो किया 5000 रुपए कम
पीडि़त परिवार ने इस बिल को माफ करवाने के लिए विधायक निवास से अस्पताल के संचालक आईपी मिश्रा की बात करवाए। तब संचालक ने 5000 रुपए बिल में से कम करने कहा। इसके बाद भी 19,684 रुपए शेष रह गया। इसके लिए परिवार कोशिश किया। तब उतनी रकम एकत्र नहीं हो पा रही थी। वे अस्पताल प्रबंधन से गुजारिश करते रहे, लेकिन शव नहीं दिया गया।
आयुष्मान योजना के कसलटेंट ने अस्पताल में फोन कर पल्ला झाड़ा
आयुष्मान योजना के दुर्ग जिला में कसलटेंट के तौर पर देवेश त्रिवेदी तैनात हैं। इस मामले में जब उनको जानकारी दी गई, तब उन्होंने अस्पताल के गौतम को फोन करने की बात कही। उम्मीद लगाकर परिवार गौतम के संबंध में देर शाम तक पूछता रहा। तब बताया गया कि वे घर पर हैं, बिना नकद जमा किए अब कोई रास्ता नहीं है।
कलेक्टर ने सीएमएचओ को दिया निर्देश
कलेक्टर, दुर्ग ने इस मामले में सीएमएचओ, दुर्ग डॉक्टर जेपी मेश्राम को निर्देश दिया कि शव को परिवार के सुपुर्द करने अस्पताल से कहें। परिवार अस्पताल परिसर में मौजूद रहा। वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। आखिर शाम हो गया।
निराश होकर लौटा परिवार
आर्थिक तंगी किस तरह के दिन दिखा देती है, मन में यह विचार लिए परिवार निराश होकर रात में करीब 7 बजे के बाद अस्पताल से घर खुर्सीपार लौट गया। परिवार के सदस्यों ने चर्चा किया कि रात किसी तरह कट जाए तो शुक्रवार को शव लेने जाना है।
कलेक्टर और सीएमएचओ के दखल का भी नहीं हुआ असर
शुक्रवार की सुबह कलेक्टर के निर्देश पर सीएमएचओ ने अस्पताल के संचालक से कहा कि शव को पीडि़त परिवार के हवाले कर दो। मृतक का भाई शेखर ने अस्पताल प्रबंधन के सामने अपनी बात रखी। वहां इसका कोई असर नहीं पड़ा। बताया गया कि 19,684 रुपए जमा कर शव लेकर जाएं।
दोस्तों से लिया उधार
आखिर में मजबूर होकर शेखर ने यह रकम दोस्तों से उधार लिया। यह जिल्लत उसे आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी उठानी पड़ी। बिल जमा करने के बाद शव को पीडि़त परिवार के सुपुर्द किया गया।
जिला अस्पताल, दुर्ग भेज दो मरीज को
डॉक्टर जेपी मेश्राम, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि आयुष्मान कार्ड से जो भी ब्लाक किया जाएगा उससे अधिक राशि नहीं लेना है। अगर कार्ड ब्लाक नहीं हो रहा है तो मरीज को प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल, दुर्ग भेज दो।
कार्ड ओपन नहीं हो रहा था तब हमारी कहां गलती
आईपी मिश्रा, संचालक, शंकराचार्य हॉस्पिटल, जुनवानी ने बताया कि आयुष्मान कार्ड ओपन नहीं हो रहा है, तब उसमें हमारी क्या गलती है। वह तो शासन की योजना है। 5 हजार रुपए कल ही कम कर दिए थे। पहले आयुष्मान की टीम बैठती थी और केवाईसी करती थी। अब हमारे कर्मी बैठते हैं यह काम करने।
बिना आधार के लिंक वाले आयुष्मान कार्डों में आ रही दिक्कत
देवेश त्रिवेदी, कसलटेंट, आयुष्मान भारत ने बताया कि बिना आधार लिंक वाले आयुष्मान कार्डों में दिक्कत आ रही है। तकनीकी समस्या को दूर करने के लिए दिल्ली से टीम भी रायपुर पहुंची है। प्रशिक्षण के बाद शंकरा अस्पताल के 4 कर्मियों को आयुष्मान कार्ड की जिम्मेदारी दी गई है।