बच्ची के दुनिया में आते ही मां की आंखों में आ गए आंसू, जब डॉक्टर ने कहा इसकी सांसे तो चलेंगी मगर ये नहीं
सोनोग्राफी रिपोर्ट में सबकुछ ठीक बताया जाता रहा, उसने इतनी विकृतियों के साथ जन्म लिया है कि वह न तो सुन सकती है और कभी चलफिर सकेगी।

दुर्ग . पेट में पल रही जिस बच्ची की सोनोग्राफी रिपोर्ट में सबकुछ ठीक बताया जाता रहा, उसने इतनी विकृतियों के साथ जन्म लिया है कि वह न तो सुन सकती है और कभी चलफिर सकेगी।
जिंदगी से खिलवाड़
शरीर के अंग तक विकसित नहीं हुए हैं। उसकी हालत एेसी है कि वह जिंदा भी रही तो सिर्फ सांस ले सकेगी। कादंबरी नगर के सेठी परिवार में ४७ दिन पहले जन्मी इस बच्ची की जिंदगी से खिलवाड़ का आरोप जिला अस्पताल के डॉक्टरों पर लगा है। जिला अस्पताल से लेकर पुलिस थाने तक डॉक्टरों की लापरवाही की शिकायत की गई है। अस्पताल प्रशासन ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं।
कुछ दिन पहले पीठ का ऑपरेशन
रायपुर में चल रहा इलाज- प्रसव के बाद परिजन मासूम को जिंदगी देने कई बड़े अस्पताल ले जा चुके हैं। आम तौर पर विशेषज्ञ उन्हें जवाब दे चुके हैं। अतत: वे रायपुर मेडिकल कॉलेज गए। कुछ दिन पहले पीठ का ऑपरेशन किया है। ऑपरेशन के बाद भी चिकित्सकों ने नवजात बेटी के सांस कब तक चलेगी इसकी गारंटी नहीं दी है।
परिवार का आरोप
परिवार ने पत्रिका को बताया कि शुक्रवार को वे शिकायत करने सिविल सर्जन डॉ. केके जैन के पास पहुंचे थे। गलती स्वीकार करने के बजाय खरी खोटी सुना दी। बच्ची की इस हालत के लिए मां द्वारा अनावश्यक दवाई खाने कोजिम्मेदार ठहरा दिया।
प्रसव के पहले आई रिपोर्ट ने बताई हकीकत
कांदबरी नगर निवासी गगन प्रीत और उसकी पत्नी अमनप्रीत के घर खुशियों ने दस्तक दी। परिवार नन्हे बच्चे की किलकारी का इंतजार कर रहा था। खुशी का ठिकाना नहीं था। गर्भ में पलने वाले शिशु की सेहत की सभी को फिक्र थी, इसलिए जिला अस्पताल में नियमित जांच कराते रहे। सातवें महीने की सोनोग्राफी रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने कहा, सब ठीक है। प्रसव पूर्व सोनोग्राफी करानी थी। इसके लिए निजी सेंटर पर जाने की सलाह दी गई। वहां की रिपोर्ट में बताया कि गर्भस्थ शिशु का विकास नहीं हुआ है। वह विकृत है। परिवार ने फौरन प्रसव निजी अस्पताल में कराने का फैसला किया। अमनप्रीत ने जिस बच्ची को जन्म दिया वह जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है। १९ मई को उसके जन्म के बाद से परिवार के लोग हर पल उसका ध्यान रख रहे हैं।
ऐसा क्यों नहीं किया
१. गर्भवती की तीसरे और पांचवें महीने में सोनोग्राफी कराई जाती है, जिला अस्पताल में एेसा नहीं कराया गया?
२. सातवें में सोनोग्राफी कराने पर भी सही रिपोर्ट क्यों नहीं दी?
३. १९७१ में गर्भपात एक्ट में विकृत या अविकसित बच्चों का गर्भपात कराने का नियम, नहीं बताया?
४. जिला अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट ने बिना देखे रिपोर्ट तो नहीं बनाई?
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