परिवार का आरोप
प्रसव के पहले आई रिपोर्ट ने बताई हकीकत
कांदबरी नगर निवासी गगन प्रीत और उसकी पत्नी अमनप्रीत के घर खुशियों ने दस्तक दी। परिवार नन्हे बच्चे की किलकारी का इंतजार कर रहा था। खुशी का ठिकाना नहीं था। गर्भ में पलने वाले शिशु की सेहत की सभी को फिक्र थी, इसलिए जिला अस्पताल में नियमित जांच कराते रहे। सातवें महीने की सोनोग्राफी रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने कहा, सब ठीक है। प्रसव पूर्व सोनोग्राफी करानी थी। इसके लिए निजी सेंटर पर जाने की सलाह दी गई। वहां की रिपोर्ट में बताया कि गर्भस्थ शिशु का विकास नहीं हुआ है। वह विकृत है। परिवार ने फौरन प्रसव निजी अस्पताल में कराने का फैसला किया। अमनप्रीत ने जिस बच्ची को जन्म दिया वह जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है। १९ मई को उसके जन्म के बाद से परिवार के लोग हर पल उसका ध्यान रख रहे हैं।
ऐसा क्यों नहीं किया
१. गर्भवती की तीसरे और पांचवें महीने में सोनोग्राफी कराई जाती है, जिला अस्पताल में एेसा नहीं कराया गया?
२. सातवें में सोनोग्राफी कराने पर भी सही रिपोर्ट क्यों नहीं दी?
३. १९७१ में गर्भपात एक्ट में विकृत या अविकसित बच्चों का गर्भपात कराने का नियम, नहीं बताया?
४. जिला अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट ने बिना देखे रिपोर्ट तो नहीं बनाई?