गुरुवार को रायपुर के निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मासूम ने दम तोड़ दिया। बुखार की शिकायत पर उसे ९ सितंबर को चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज कचांदुर में भर्ती कराया गया था। स्थिति बिगडऩे पर १२ सितंबर को रायपुर रेफर किया गया। गुरुवार सुबह उसकी मौत हो गई।
थनेश्वर जोशी ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर उचित इलाज नहीं करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि यदि चिकित्सक समय पर स्थिति की जानकारी दे देते तो उनकी बेटी की जान बच सकती थी, लेकिन चिकित्सकों ने काव्या की तबियत ज्यादा खराब हो गई। तब जानकारी दी।
शहर से बाहर रेफर करने की बात कही। जब रायपुर के बालाजी चिकित्सालय लेकर गए। वहां आईसीयू में भर्ती कर इलाज किया गया, लेकिन चिकित्सक उन्हें नहीं बचा पाए। जोशी का कहना है कि जब वह अपनी बेटी को लेकर अस्पताल पहुंची थीं, तब उन्हें केवल बुखार की शिकायत की थी। जांच में डेंगू पाजीटिव होने की जानकारी दी।
भिलाई के खुर्सीपार, मरोदा से पैदा हुआ एडीज का लार्वा सीमावर्ती शहरों के अलावा गांवों तक पहुंच चुका है। दुर्ग, चरोदा, जामुल के बाद अब ग्रामीण क्षेत्र में पांव पसार रहा है। डेंगू से अब तक भिलाई के 41, दुर्ग शहर एक और चरोदा नगर पालिक निगम के दो लोगों सहित कुल 44 की जान जा चुकी है।
निगम प्रशासन ने दवा छिड़काव और सफाई का दायरा बढ़ाया है। तालपुरी इंटरनेशनल कॉलोनी रुआबांधा, एचएससीएल कॉलोनी, हुडको, हाउसिंग बोर्ड और औद्योगिक क्षेत्र में भी दवा छिड़काव कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए १९४ कर्मचारियों की अतिरिक्त ड्यूटी लगाई है।
बुधवार को टीम ने नेहरू नगर, वैशाली नगर, मदर टेरेसा, वीर शिवाजी नगर सेक्टर-६ और रिसाली जोन क्षेत्र के २३ वार्डों के ६१५ घरों में सर्वे किया। 518 लोग संदेहास्पद पाए गए। इनमें से ७४ लोगों को सुपेला और दुर्ग जिला चिकित्सालय सहित अस्पतालों में भर्ती किया। आरडी किट की जांच में ५१ लोग एसएन-१ डेंगू पॉजीटिव मिले। उनमें से १२ लोगों को शहर से बाहर रेफर किया गया।