कॉलेज के विद्यार्थी घर-घर जाकर यह भी देखेंगे कि किसी को बुखार तो नहीं है। यदि बुखार मिलता है तो उसे तुरंत अस्पताल भिजवाया जाएगा। स्वास्थ्य अमला इसमें विद्यार्थियों की मदद करेगा। डेंगू से शहर को बचाने यह एक्शन प्लान सोमवार को उच्च शिक्षा मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय की मौजूदगी में हुई बैठक के दौरान तैयार किया गया है।
यह बैठक दुर्ग बीआईटी में हुई, जिसमें हेमचंद विवि के कुलपति डॉ. शैलेंद्र सराफ, सीएसवीटीयू के कुलपति डॉ. एमके वर्मा, प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ शासन डॉ. आलोक शुक्ला, कलक्टर उमेश अग्रवाल, शंकराचार्य ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन आईपी मिश्रा और रूंगटा कॉलेज समूह के चेयरमैन संतोष रूंगटा, हेमचंद विवि के रजिस्ट्रार डॉ. राजेश पांडेय मौजूद रहे। बैठक में दोनों विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों के करीब ५ सौ प्राचार्य, प्रोफेसर्स, एनएसएस अधिकारी, क्रीडा अधिकारी शामिल हुए।
मंत्री ने किया बैठक का संचालन, कहा- यह समय शहर को बचाने का है यह बैठक शाम ४ बजे शुरू हुई। मंत्री ने खुद ही कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने सभी कॉलेजों के प्राचार्यों से कहा कि यह समय शहर को बचाने का है। हर कॉलेज अपनी कक्षा शुरू करने के पहले विद्यार्थियों को १० मिनट में डेंगू से बचाव के तरीके समझाए। विद्यार्थियों को कहें कि जहां रहते हंै उसके आसपास के २० घरों में जाकर डेंगू की जानकारी दें।
मरीज खोजने तैयार किया सिटीजन डॉक्टर ऐप प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने बताया कि डेंगू के मरीज को खोजने के लिए सरकार ने सिटीजन डॉक्टर ऐप तैयार किया है। इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। यदि आप को बुखार आ रहा है और डेंगू के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं तो तुरंत ऐप पर इसकी जानकारी दीजिए। सूचना देते ही जिला स्वास्थ्य विभाग पहचान कर मदद के लिए पहुंचेगा। मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाएगा। यह ऐप स्वास्थ्य मंत्रालय से सीधा संचालित किया जा रहा है, इसलिए मदद नहीं पहुंची तो इसकी शिकायत भी तुरंत की जा सकेगी।
पीलिया के नए मरीज मिले तो बढ़ेगी मुसीबत मुख्य सचिव ने उपस्थित प्राचार्यों व प्रोफेसरों को बताया कि डेंगू के बाद अब पीलिया के मरीज भी मिले हैं, भले ही इनकी संख्या अभी कम है, लेकिन हमें अभी से संभलना होगा। पानी को उबालकर ही पिएं। यदि घर में कोई पैट या पशु पाला है तो उसे जो पानी खुले बर्तन में दे रहे हैं, उसमें कुछ बंूद नारियल या सरसों का तेल डालें, इससे डेंगू का लार्वा वहां पर पैर नहीं पसार पाएगा। यह पानी पूरी तरह से पीने योग्य होगा। एक्वेरियम के पानी को फिलहाल खाली कर दें।
घर का सदस्य दे प्लेटलेट्स, तो अच्छा होगा मुख्य सचिव ने बताया कि प्लेटलेट्स सेल देने के लिए रक्त दान करना ठीक है, लेकिन बेहतर यह होता है कि प्लेटलेट्स के लिए रक्त मरीज के परिवार का कोई सदस्य ही दे। घर के व्यक्ति के खून से प्लेटलेट्स निकालने पर वह जेनेटिक तौर पर काम करता है। यह अधिक प्रभावी होगा, क्योंकि प्लेट्स को रिएक्ट करने में दिक्कत नहीं आएगी। इससे प्लेटलेट्स दोगुनी तेजी से बढ़ेगा। पिता से बेटे को ब्लड दिया तो जेनेटिक ट्रांसर्फर एक जैसा होता है, प्लेटलेट असहज महसूस नहीं करेगी। जबकि दूसरे का जैनेटिक सिस्टम अलग होगा और रिकवरी करने में देर लगेगी। घर का सदस्य प्लेटलेट्स दे।
अब बड़े व्यावसायी आए मदद को आगे मंत्री पांडेय ने कहा कि शहर में कई ऐसे संपन्न व्यावसायी हैं, जिन्हें इस मुश्किल घड़ी में मदद के लिए सामने आना होगा। उन्होंने आग्रह किया कि बड़े व्यावसायी एयरटाइट वॉटर जॉर की तरह ऐसे संसाधन उपलब्ध कराए जिससे निचली बस्तियों में रहने वालों को पानी रखने सही साधन मिले। व्यावसायी और शिक्षा की जुड़ी हस्तियां अपने स्टाफ के साथ अभियान चलाएं।