न्यायाधीश ने हत्या की धारा को विलोपित करते हुए अपराधिक मानव वध की धारा के तहत चार लोगों को दोषी ठहराते कहा कि अपराध आपसी पारिवारिक विवाद के दौरान हुआ है। पूर्व से सुनियोजित कर अपराध कारित नहीं किया गया है। प्रकरण में पूर्व दोषसिद्धि का कोई तथ्य भी प्रस्तुत नहीं किया गया है। यह घटना तत्काल प्रतिकार स्वरूप हुआ है, लेकिन इस प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थिति इस प्रकृति के नही हैं, जिससे किसी प्रकार की सजा में नरमी बरती जाए।
अतिरिक्त लोक अभियोजक केडी त्रिपाठी ने बताया कि गणपत साहू ने जयंती नगर में मकान बनाया था। मकान बड़े बेटे बेनूराम के नाम कर रखा था। इसके पहले माले में बेनूराम सपरिवार रहता था वहीं भूतल पर गणपत अपने दो बेटों नरेन्द्र व संतोष के साथ रहता था। पुस्तैनी जमीन को अपने नाम करने बेनूराम बार-बार पिता से विवाद करता था, लेकिन मृतक का कहना है कि मकान बड़े बेटे को जमीन दो छोटे बेटों को देगा। 23 जुलाई 2017 को बेनूराम का साढू परिवार समेत जयंती नगर पहुंचा था और शाम 4.30 बजे विवाद होने पर गणपत ने अपने साढ़ू के परिवार वालों के साथ मिलकर पिता को घर से बाहर से निकालने मारपीट की। घायल गणपत को अस्पताल पहुंचाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
सुनवाई के दौरान मृतक की पत्नी गिरजा साहू ने बेटे व बहू के खिलाफ बयान दिया। जिसे न्यायालय ने सही माना। खास बात यह है कि इस प्रकरण में मोहन नगर पुलिस ने 19 गवाहों की सूची न्यायालय में प्रस्तुत की थी, जिसमें मोमेरण्डम और चश्मदीद गवाहों को न्यायालय ने पक्षद्रोह घोषित कर दिया।
प्रकरण में एक अन्य आरोपी ओमप्रकाश साहू अब तक फरार है। न्यायालय ने उसके खिलाफ बेमियादी वारंट जारी किया है। वहीं आरोपी के बच्चे भी इस प्रकरण में शामिल थे। उनका प्रकरण किशोर न्यायालय में विचाराधीन है।