विशेष प्रशिक्षण केंद्र अखरा को ही रिसोर्स सेंटर बनाया गया है जो सप्ताह में दो दिन शुक्रवार एव शनिवार को दिव्यांग बच्चों को विशेष प्रशिक्षण देने खुलता है, लेकिन इस केंद्र में भी कोई पालक अपने बच्चे को सेंटर दूर होने के कारण लेकर नहीं आते। इस संस्था में आधुनिक यंत्र उपलब्ध है। बावजूद इसका लाभ दिव्यांग बच्चे नहीं ले पा रहे हैंं।
समावेशी शिक्षा के तहत दिव्यांग बच्चे स्कूल जा पाते हैं उन्हें स्कूल में ही प्रशिक्षित शिक्षक शारीरिक बाधा के अनुसार शिक्षा देते हैं। पाटन ब्लाक के 18 संकुल में कक्षा एक से लेकर 12 वीं तक लगभग 492 बच्चे विभिन्न बाधा के चलते दिव्यांग हैं। इसके साथ ही 50 से 60 ऐसे बच्चे है जो बहु दिव्यांगता के कारण स्कूल नहीं जा पाते और शिक्षा से वंचित हैं।
राज्य स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा दिव्यांग बच्चों को शिक्षा देने के लिए समावेशी शिक्षा विभाग बनाया है। जिसमे बकायदा शिक्षकों को प्रशिक्षित करके दिव्यांग बच्चों को शिक्षा देने के कार्य में लगाया है। समावेशी शिक्षा दो स्तर पर दी जाती है पहला गृह आधारित शिक्षा (होम बेस्ड एजुकेशन) जिसमें जो बच्चे स्कूल नहीं जा पाते उन्हें एक प्रशिक्षित शिक्षक घर जाकर उनके शारीरिक बाधा के अनुसार विभिन्न यंत्रों एवं परिवार जनों के माध्यम से स्वालंबन के लिए प्रेरित करते हैं।
18 संकुल से बने इस विकासखण्ड में दिव्यांग बच्चों को शिक्षा देने लगभग 4 प्रशिक्षत शिक्षकों की आवश्यकता है पर मात्र एक शिक्षक ही समावेशी शिक्षा में पदस्थ है। जिन्हें दृष्टि बाधित बच्चों के लिए पदस्थ किया गया है। शिक्षक को भी ऑफिस काम, प्रशिक्षण में जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। केंद्र में तीन शिक्षक की और जरूरत है। उपकरण सभी तरह के उपलब्ध हैं पर प्रशिक्षित शिक्षक का अभाव है।