खैरनी गांव में फंसे भिलाई के लोग ग्रुप में वापस लौटे। सबसे पहले ग्रुप में 15 लोगों ने वहां अपने स्तर पर गाड़ी की व्यवस्था की और दोपहर तक नैनीताल पहुंचे। इसके बाद एनडीआरएफ की टीम ने कांचीधाम के पास फंसी इनकी गाड़ी को वहां से निकाला और फिर उसी में उन्हें नैनीताल भेजा। दूसरे ग्रुप में 35 और तीसरे ग्रुप में 5 लोग पहुंचे। शाम तक सभी होटल पहुंच चुके थे। महिलाओं ने बताया कि उनके लिए दिल्ली तक जाने बस का इंतजाम किया गया है। अब इसके लिए उन्हें खुद पैसे देने होंगे या यह प्रशासन की ओर से मदद है, यह अब तक उन्हें पता नहीं। इधर कई ऐसी महिलाएं है जिनके पास पैसे भी नहीं है, कि वे दिल्ली से घर तक पहुंच सके।
प्रसन्नजीत दास ने बताया कि उनकी पत्नी सुमन और बेटियों ने बताया कि रात में उन्हें प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली। वे पहले मंदिर में सभी रूके थे, लेकिन वहां सांप और बिच्छू होने की वजह से वे सभी नजदीक के स्कूल में गए, लेकिन वहां स्कूल में ताला लगा था, जबकि उन्हें यह बताया गया कि वहां उनके ठहरने और भोजन की व्यवस्था है। इसके बाद उन्होंने मिलकर ताला तोड़ा और स्कूल में शरण ली।
दिल्ली से सभी को फ्लाइट से रायपुर पहुंचाने सांसद विजय बघेल ने सभी पर्यटकों के नाम और डिटेल ली है, लेकिन अब तक उन्होंने क्या व्यवस्था की है, यह साफ नहीं हुआ है। परिजनों का कहना है कि जब तक उनके परिवार के सदस्य लौट कर नहीं आते, तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
पूर्व साडा अध्यक्ष बृजमोहन सिंह को जैसे ही भिलाई के 55 लोगों के उत्तराखंड में फंसे होने की जानकारी मिली, उन्होंने भिलाई में रहकर ही उनकी मदद की। दरअसल उनका पैतृक गांव नैनीताल के पास ही है। जिसकी वजह से उनकी छोटी बहन सहित कई रिश्तेदार वहां है। वही जिस खैरनी गांव में 55 लोग रुके थे, वही उनकी बहन का घर है, इसलिए उन्होंने तत्काल अपने रिश्तेदारों को भेजकर सभी की खैरखबर ली और उन्हें नैनीताल पहुंचने में मदद की। बृजमोहन सिंह ने बताया कि नैनीताल प्रशासन से लोगों को ज्यादा मदद नहीं मिली। आधे से ज्यादा लोग अपने खर्चे पर गाड़ी कर नैनीताल पहुंचे हैं और दिल्ली पहुंचने के लिए भी उन्हें अपना जुगाड़ करना पड़ रहा है।