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भिलाई

पिता के साथ खेत में बटाया हाथ और चिमनी की रोशनी में पढ़कर यह शख्स बना कलक्टर

पैरेंट्स एप्रिसिएशन डे पर आइएस, आइएफएस और रेलवे के डीआरएम सहित अन्य अतिथियों ने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए पालकों को बच्चों की शिक्षा साहित्य और इनोवेशन से संबंधित पुस्तक पढऩे के लिए आग्रह किया।

भिलाईJul 29, 2019 / 12:32 am

Tara Chand Sinha

ias mahadev kavaray

पिता के साथ खेत में हाथ बटाकर चिमनी की रोशनी से किया पढ़ाई यह शख्स बना कलक्टर

भिलाई. पैरेंट्स के साथ पहुंचे आइएस, आइएफएस और रेलवे के डीआरएम सहित अन्य अतिथियों ने रायपुर के वृंदावन हाल में सामाजिक संस्था यूनिटी फॉर सोशल जस्टिस के साथ पैरेंट्स एप्रिसिएशन डे मनाया। बचपन के दिनों को याद करते हुए पालकों से बच्चों की शिक्षा पर जोर दिया। अच्छे भविष्य निर्माण के लिए साहित्य और इनोवेशन से संबंधित पत्र-पत्रिकाएं पढऩे और बच्चों को पढ़ाने का आग्रह किया।
पैरेंट्स एप्रिसिएशन डे पर बेमेतरा के जिले के तात्कालीन कलक्टर व आइएएस महादेव ने अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि बीजापुर जिले एक गांव, जहां बिजली की सुविधा नहीं थी। वहां से पढ़ाई कर आइएएस बनें। उन्होंने कहा कि वह बचपन में ठान लिया था कि वह पढ़ाई कर कलक्टर बनेगा। कोई उसे रोक नहीं सकता। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती खेती कार्य था। उनके आगे पढ़ाई करने से खेती का कार्य प्रभावित हो सकता था। खेती कार्य प्रभावित न हो, इसलिए वह चिमनी (ढेबरी) की रोशनी में रात में पढ़ाई करता था। सुबह स्कूल जाने से पहले खेती के कार्य में पिताजी का सहयोग करता था। उसी माता-पिता के सहयोग से आइएएस बना है। पालकों से उन्होंने बच्चों की रुचि के अनुसार कॅरियर चुनने की छूट देने कहा।
कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता

मुख्य वक्ता व रायपुर रेलवे मंडल के डीआरएम कौशल किशोर ने करियर गाइडेंस व मोटिवेशन पर अपने विचार को रखत हुए कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद सफल हो सकते हैं। कितनी भी विपरीत परिस्थिति क्यों न हो। यदि ठान लिया हो तो कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों का जिक्र करते हुए कि उनके माता-पिता की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पुस्तकें खरीद सके। फिर भी वह पीछे नहीं हटा। आधी कीमत पर रोड के किनारे बिकने वाली पुस्तकें खरीद कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की। आज वह दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के एक जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में आपके सामने खड़ा है।
पालकों से शेयर किया बचपन के दिन
– कबीरधाम जिले के डीएफओ दिलराज प्रभाकर ने मां से प्रेरित होकर आइएएस की तैयारी करने की बात कही। आइएफएस में सलेक्शन होने की जानकारी दी।

– बीएसएनएल के सेवानिवृत्त अधिकारी बीबी बोन्द्र ने पुस्तक से भविष्य निर्माण से जुड़ी जानकारी लोगों से शेयर की। डॉ.भीमराव को अपना रोल मॉडल बताया। उन्होंने कि पुस्तक पढऩे से ज्ञान तो बढ़ता ही है। बातचीत की शैली बनती है। अच्छे शब्दों का चयन, लोगों की अपनी ओर आकर्षित करने का भाव जागृत करता है।
– मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर किशोर सहारे ने सफलता के लिए मेहनत को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि सफल होने के लिए दृढ़ संकल्प जरूरी है। संकल्प को पूरा करने के लिए मेहनत करना पड़ेगा। जो मेहनत करेगा। उसे सफलता मिलेगी। शार्टकट अपनाने वाले कभी सफल नहीं हो सकता।
माता-पिता की जागरूकता अहम

आयोजक एडवोकेट जन्मेजय सोना ने पालकों को पत्र-पत्रिकाओं को पढऩे की आग्रह किया। सोना ने कहा कि यदि मां-बाप, पालक, यदि जागरूक नहीं है, तो बच्चों को जागरूक करना बड़ी मुश्किल होता है। कॅरियर बनाने के लिए माता-पिता की जागरूकता सबसे अहम है। वहीं प्रोफेसर डॉ बेनुधर रौतिया, अटल नगर विकास प्राधिकरण के एमडी, रेलवे के इंजीनियर आरके विमल अपने पालकों के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए।

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