खरीफ सीजन में सूखे के कारण धान की फसल खराब हो गई। इसके कारण किसानों को व्यापक नुकसान उठाना पड़ा। इसकी भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत नुकसान उठाने वाले बीमित किसानों को कंपनियों द्वारा बीमा भुगतान की राशि जारी की गई है। यह राशि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और समितियों के माध्यम से किसानों को भुगतान किया जाना है, लेकिन समितियों में यह राशि किसानों के बकाया कर्ज के एवज में समायोजित किया जा रहा है।
बैंकिंग के नियमानुसार बैंक अथवा समितियों द्वारा खाताधारक किसानों की लिखित सहमति के बिना बीमा दावा का समायोजन कर्ज की राशि की वसूली के लिए नहीं किया जा सकता। इसके विपरीत जिले के सहकारी बैंक व समितियों में किसानों से जबरिया कर्ज का समायोजन किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन से जुड़े किसानों ने लिखित सहमति के बिना कर्ज की राशि की वसूली के लिए बीमा दावा राशि के समायोजन पर आपत्ति दर्ज कराई है। किसानों ने वसूली तत्काल बंद कर अब तक समायोजित राशि किसानों के खाते में लौटाने की मांग की है।
छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के संयोजक राजकुमार गुप्त ने बताया कि समायोजित राशि वापस नहीं करने की सूरत में मामले की शिकायत रिजर्व बैंक से करने का निर्णय किया गया है। शिकायत पर बैंकिंग लाइसेंस निरस्त करने के साथभारी भरकम हर्जाने की कार्रवाईभी की जा सकती है।
दूसरी ओर बीमा राशि के समायोजन पर बैंक का अपना तर्क है। बैंक के अधिकारियों की मानें तो बीमा भुगतान की राशि सेविंग एकाउंट में रहा तो खाताधारक को केवल 4 फीसदी ब्याज मिलेगा। वहीं कर्ज वापस नहीं करने पर किसानों को साढ़े 12 फीसदी वार्षिक ब्याज देना पड़ेगा। इस तरह तत्काल समायोजन वाले किसान करीब 8 फीसदी भुगतान से बच जाएंगे।
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19००० पर 56 .8 3 करोड़ बकाया, भुगतान 11609 को मात्र 13 करोड़
जिले के 19 हजार किसान इस बार सूखे के कारण फसल खराब हो जाने से कर्ज नहीं लौटा पाए हैं। इन किसानों में 56 करोड़ 83 लाख 82 हजार रुपए बकाया है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत केवल 11 हजार 609 किसानों को बीमा भुगतान के पात्र पाया गया है। इन किसानों के लिए 13 करोड़ रुपए जारी किया गया है।