कंपनी के झांसे में आकर करीब ३० लोगों ने अलग-अलग पॉलिसी ली थी। मंथली प्लान में १०० से लेकर एक हजार रुपए प्रति माह पांच वर्ष तक जमा किया। @Patrika इसी तरह एमआइएस प्लान में एक लाख रुपए जमा करने पर छह साल तक प्रति माह एक हजार रुपए मासिक ब्याज मिलना बताया था। फिक्स प्लान में पांच साल में रकम दोगुना करने का झांसा दिया था। जैसे ही पॉलिसी की मेच्योर हुई, १ करोड ८० लाख रुपए गबन कर कंपनी बंद कर दी।
वर्ष २०१७ में कंपनी के चेयरमैन राजेश्वर ने निवेशकों से बॉन्ड पेपर और रसीद को जमा करा लिया। एवज में पावती दी कि ९ माह में निवेश की पूरी रकम वापस मिल जाएगी। @Patrika नौ माह के बाद भी निवेशकों को इधर-उधर घुमाने लगे। वर्ष २०१८ में कंपनी बंद कर फरार हो गए।
पीडि़तों का आरोप है कि शिकायत के बाद सुपेला थाना पुलिस कंपनी के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने से कतरा रही थी। तब पीडि़त निवेशकों व एजेंटों ने मुख्यमंत्री व गृहमंत्री से मिलकर गुहार लगाई। @Patrika एसपी प्रखर पांडेय ने टीआई को तत्काल रिपोर्ट दर्ज करने कहा तब जाकर अब एक साल के बाद अब एफआइआर दर्ज हुई है।
ग्राम गनियारी पुष्पा देशमुख, बुधू राम देशमुख, राधेश्याम देशमुख, ग्राम अंजोरा शेखर देशमुख, कामनी देशमुख, मदन लाल देशमुख, ग्राम आलबरस राम खिलावन देशमुख, कलिन बाई देशमुख, लोकेश देशमुख, ग्राम समोदा कुंती बाई देशमुख, ग्राम भेडसर दिनेश देशमुख, चितरेखा देशमुख, ग्राम समोदा सतीष देशमुख और ग्राम तिरगा ढाल सिंह देशमुख समेत ३० लोगों ने संयुक्त रूप से कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।