दस रुपए ही बचा मरीजों का शेष खर्च जस के तस
जिला अस्पताल, दुर्ग और सिविल हॉस्पिटल, सुपेला के मरीजों को ओपीडी पर्ची के सिर्फ दस रुपए की ही राहत मिली है। इसके अलावा अन्य जांच पर लगने वाले तमाम खर्च पहले की तरह ही बने रहेंगे। अगर पैथालॉजी से संबंधित जांच को मुफ्त कर दिया जाता, तो मरीजों को बड़ी राहत मिल सकती थी। अस्पताल में अब भी वहीं एक्स-रे, पैथालॉजी, डेंटल प्रोसिजर के शुल्क जो अधिक होते हैं, उसमें कोई राहत नहीं दी गई है। असल में छूट इसमें ही मिलनी थी ओपीडी का दस रुपए लेते रहते तो भी दिक्कत नहीं थी।
हर माह मदद होती थी जीवनदीप कर्मियों के वेतन में
ओपीडी के दस रुपए से सिविल हॉस्पिटल, सुपेला में करीब हर माह 45 हजार रुपए एकत्र हो जाते थे। जीवनदीप समिति ने जिन कर्मियों को काम पर रखा है उनको हर माह करीब 1 लाख 37 हजार रुपए बतौर वेतन दिया जाता है। इसमें वह रकम काम आती थी। अब यह कटौती नजर आने लगेगी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना से मिलने वाले पैसे में पहले ही हो चुकी है कटौती
सरकारी अस्पताल में उपचार करवाने वाले मरीजों से अस्पताल प्रबंधन को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना से जितने का इलाज किया जाता था। उसका 35 फीसदी तक मिल जाता था। अब उसमें कटौती कर दी गई है। अब 35 फीसदी की जगह बीमा का महज 15 फीसदी ही दिया जा रहा है। इससे अस्पतालों की आमदानी का ग्राफ गिरा है।
यहां कर रहे खर्च
सिविल हॉस्पिटल, सुपेला हर माह अस्पताल से बायोमेडिकल लेकर जाने वाली कंपनी को १८ हजार रुपए का भुगतान करती है। अस्पताल के कपड़ों की सफाई में हर माह करीब 12,000 रुपए खर्च किया जा रहा है। तीन एंबुलेंस है जिसमें हर माह करीब 15-15 हजार रुपए खर्च हो रहा है। इस तरह से खर्च में कटौती नहीं हुई है, लेकिन आय कुछ कम हो रहा है।