प्रकरण के अनुसार 9 अक्टूबर के ग्राम तेंदुभाठा में 19 वर्षीय गिरजा यादव पिता रामनारायण यादव की अधजली लाश प्रीतम यादव के कोठार में मिली थी। प्रकरण की जंाच के दौरान प्यारी बाई कौशल (35) और कामेश्वरी यादव (28) को गिरजा की हत्या करने का दोषी पाया गया। दोनों ने पुलिस के समक्ष अपना अपराध कबूल कर लिया था। आरोपियों की निशानदेही पर साक्ष्य भी बरामद कर लिया गया था। दोनों के खिलाफ धारा 302 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था। पुलिस को जांच के दौरान चौंकाने वाली बात पता चली। गिरजा और कामेश्वरी के बीच अक्सर विवाद होता था। विवाद का कारण एक अन्य महिला प्यारी बाई कौशल थी। कामेश्वरी से पुलिस ने पूछताछ की।
प्रकरण के अनुसार वारदात की रात 12 बजे गिरजा, कामेश्वरी के घर पहुंची थी। कामेश्वरी पर पत्थर का सील पटकने का प्रयास किया। इसके बाद हल्की चोट पहुंचने के बाद पत्थर गिरने की आवाज आई। आवाज सुनकर दोनों उठ गए। इसके बाद प्यारी बाई ने गिरजा के पैर पकड़ा और कामेश्वरी ने उसका गला दबा दिया। जिससे उसकी मौत हो गई। गले में चोट के निशान को दबाने के लिए शव को मिट्टी तेल डालकर जला दिया। बोरी के सहारे कोठार में ले जाकर शव को छोड़ दिया।
लड़कों की तरह रहने वाली प्यारी और कामेश्वरी के बीच बचपन से दोस्ती रही है। कामेश्वरी, प्यारी बाई को अपनी सहेली मानती थी। दोनों का विवाह हो चुका था। इसके बाद दोनों अपने पति को छोड़ कर मायके में रहने लगी। इसके बाद प्यारी बाई अपने परिजन से दूर कामेश्वरी यादव के घर पर रहने लगी।
हत्या के मामले में जो बात सामने आई, उसमें तीन लड़कियों के बीच प्रेमसंबंध का मामला निकला। जिसमें दोनों ने मिलकर एक को रास्ते से हटाने के लिए हत्या कर दी। खुलासा होने के बाद प्रकरण चर्चा का विषय बना था।
कोर्ट ने दोनों पक्ष की सुनवाई पूर्ण होने के बाद भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 302 के तहत दोनों महिलाओं को दोषी पाया। इसके तहत उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वहीं 50 रुपए अर्थदंड भी लगाया गया। धारा 207 के तहत सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई एवं 50 रुपए अर्थदंड भी लगाया गया।