भ_ी टीआई विजय ठाकुर ने बताया कि सेक्टर-9, सड़क-3, क्वार्टर 2 डी निवासी बीएसपी कर्मी सलीम खान की बेटी समीरा खान (16 वर्ष) कक्षा दसवीं में बीएसपी हायर सेकंडरी स्कूल में पढ़ती थी। वह पढऩे में होशियार थी, लेकिन 10 वीं बोर्ड की परीक्षा में 55 प्रतिशत अंक आने से वह परेशना रहती थी। आधी रात को गैरेज का ताला खोलकर वहां गई और लोहे के पोल से चुन्नी से फांसी का फंदा बनाकर लटक गई।
परिजनों ने बताया कि 11 मई को परिवार में चचेरे भाई का जन्म दिन था। उसमें समीरा भी शामिल हुई। बीती रात वह करीब 11.30 बजे तक अपने भाई सोहब खान के साथ टीवी देखा और हॉल में ही दोनों सो गए। न जाने कब वह उठी और गैरेज में जाकर यह घातक कदम उठा लिया। उसके इस कदम से भाई सदमे में है। मां का रो-रोकर बुला हाल है।
चाइल्डहुड स्टे्रस में आमतौर पर उसका परफार्मेंस खराब हो जाता है। स्थिति बिगडऩे पर वह डिप्रेशन या एनजाइटी का शिकार हो जाता है। ऐसे में बच्चे को फ्यूचर डार्क लगने लगता है या वह खुद को परिवार पर बोझ मानने लगता है। ऐसे में स्टे्रस की वजह तलाशकर उसको दूर करने का प्रयास करें। पैरेंट्स और टीचर के प्रयास से कोई प्रभाव न दिखे तो मनोविज्ञानी या मनोचिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। प्रॉब्लम समझ जाते हैं तो बच्चे को डिप्रेशन में जाने से बचा सकते हैं…
अलॉर्मिंग स्टेज, जब आपको बच्चे के प्रति होना है सावधान
जब भी रिजल्ट नेगेटिव आने पर बच्चे के व्यवहार में कोई बड़ा बदलाव देखें तो आप तत्काल सावधान हो जाएं। बच्चा शांत सा रहने लगे तो आपको नोटिस में लेना चाहिए। या फिर वह हाइपर एक्टिव दिखे और वह अपने दोस्तों, करीबियों से मिल रहा हो तो यह कतई न समझें कि वह रिजल्ट को भूलने की कोशिश कर रहा है। यह नाजुक वक्त होता है जब आपको उसके साथ होना चाहिए। यह अलार्मिंग साइन है।
पैरेंट्स को बच्चे की रुचि और क्षमता मालूम होनी चाहिए।
बच्चे को स्टोरी फॉर्म में बताएं फेलियर से सक्सेस का रास्ता।
व्यवहार में कोई परिवर्तन देखें तो उसे नजरअंदाज नहीं करें।
बच्चे के मन को टटोलने के लिए उसके साथ समय बिताएं।
डाइनिंग टेबल पर बच्चे के साथ बात करना अच्छा रहेगा।