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भिलाई

सुबह मां रोजा खोलने उठी तो गैरेज में बेटी को देखकर चीख पड़ी, 10 वीं में कम अंक का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई होनहार छात्रा

दसवीं बोर्ड परीक्षा में कम अंक आने से हताश बीएसपी स्कूल की छात्रा जिम्रास्टिक की नेशनल प्लेयर ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।

भिलाईMay 18, 2019 / 10:32 am

Dakshi Sahu

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सुबह मां रोजा खोलने उठी तो गैरेज में बेटी को देखकर चीख पड़ी, 10 वीं में कम अंक का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई होनहार छात्रा

भिलाई. दसवीं बोर्ड परीक्षा में कम अंक आने से हताश बीएसपी स्कूल की छात्रा जिम्रास्टिक की नेशनल प्लेयर ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। बेटी के इस कदम से माता-पिता सदमे में है। नतीजे घोषित होने के बाद से छात्रा निराश थी। माता-पिता समझा बुझाकर उसका हौसला बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन वह कम अंक मिलने के सदमे से वह उबर नहीं पाई। वह डिप्रेशन की स्थिति में आ गई। घटना गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात करीब 3 बजे की है।
फांसी का फंदा बनाकर लटक गई
भ_ी टीआई विजय ठाकुर ने बताया कि सेक्टर-9, सड़क-3, क्वार्टर 2 डी निवासी बीएसपी कर्मी सलीम खान की बेटी समीरा खान (16 वर्ष) कक्षा दसवीं में बीएसपी हायर सेकंडरी स्कूल में पढ़ती थी। वह पढऩे में होशियार थी, लेकिन 10 वीं बोर्ड की परीक्षा में 55 प्रतिशत अंक आने से वह परेशना रहती थी। आधी रात को गैरेज का ताला खोलकर वहां गई और लोहे के पोल से चुन्नी से फांसी का फंदा बनाकर लटक गई।
सुबह 4 बजे उसकी मां रोजा खोलने के लिए उठी तो देखी बेटी घर पर नहीं थी। बाथरूम को देखा लेकिन वहां भी नहीं मिली। फिर वह गैरेज की ओर देखा तो दरवाजा खुला था। अंदर गई देखी तो बेटी फांसी के फंदे पर झूल रही थी। मां के चिल्लाने की आवाज सुनकर पिता शकील और भाई सोहब खान दौड़कर पहुंचे। समीरा को फांसी के फंदे से उतारा। तत्काल जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद सेक्टर-9्र ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मर्ग पंचनामा के बाद शव परिजन को सौप दिया।
रात में देखी टीवी
परिजनों ने बताया कि 11 मई को परिवार में चचेरे भाई का जन्म दिन था। उसमें समीरा भी शामिल हुई। बीती रात वह करीब 11.30 बजे तक अपने भाई सोहब खान के साथ टीवी देखा और हॉल में ही दोनों सो गए। न जाने कब वह उठी और गैरेज में जाकर यह घातक कदम उठा लिया। उसके इस कदम से भाई सदमे में है। मां का रो-रोकर बुला हाल है।
सलीम खान की बीएसपी कोक ओवन में ड्यूटी है। बेटा सोहब खान कॉलेज की पढाई कर रहा है। समीरा दसवीं में पढ़ रही थी। 7 वीं, 8वीं और 9वीं में करीब 90 प्रतिशत नंबर लाती रही है। लेकिन 10वीं बोर्ड की परीक्षा में 55 प्रतिशत अंक आए। मां से कहती थी कि मेरी सहेलियों के ज्यादा नम्बर आए हैं। मां और पिता ने उसे समझाया कि कुछ नहीं होता। इस बार एक निजी स्कूल में दखिला करा देंगे।
मनोचिकित्सक डॉ. प्रमोद गुप्ता कहते हैं अच्छा परफॉर्म करने वाले बच्चे का रिजल्ट मंथली, क्वार्टली या हाफ इयरली एग्जाम में बिगड़ रहा है तो पैरेंट्स और टीचर को तत्काल अलर्ट हो जाना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि कोई तो वजह है जिससे परफॉर्मेंस खराब हुआ। पीटीएम के दौरान इस पर बात करें और उस फैैक्टर को तलाशें जिसने बच्चे का परफॉर्मेंस बिगाड़ा है। मसलन, क्लासमेट्स, फ्रेंड्स, फैमिली या अन्य किसी के साथ प्रॉब्लम होने पर बच्चा परेशान हो जाता है। प्रॉब्लम समझ जाते हैं तो बच्चे को डिप्रेशन में जाने से बचा सकते हैं।
आखिर क्या होता है, डिप्रेशन या एनजाइटी
चाइल्डहुड स्टे्रस में आमतौर पर उसका परफार्मेंस खराब हो जाता है। स्थिति बिगडऩे पर वह डिप्रेशन या एनजाइटी का शिकार हो जाता है। ऐसे में बच्चे को फ्यूचर डार्क लगने लगता है या वह खुद को परिवार पर बोझ मानने लगता है। ऐसे में स्टे्रस की वजह तलाशकर उसको दूर करने का प्रयास करें। पैरेंट्स और टीचर के प्रयास से कोई प्रभाव न दिखे तो मनोविज्ञानी या मनोचिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। प्रॉब्लम समझ जाते हैं तो बच्चे को डिप्रेशन में जाने से बचा सकते हैं…
अलॉर्मिंग स्टेज, जब आपको बच्चे के प्रति होना है सावधान
जब भी रिजल्ट नेगेटिव आने पर बच्चे के व्यवहार में कोई बड़ा बदलाव देखें तो आप तत्काल सावधान हो जाएं। बच्चा शांत सा रहने लगे तो आपको नोटिस में लेना चाहिए। या फिर वह हाइपर एक्टिव दिखे और वह अपने दोस्तों, करीबियों से मिल रहा हो तो यह कतई न समझें कि वह रिजल्ट को भूलने की कोशिश कर रहा है। यह नाजुक वक्त होता है जब आपको उसके साथ होना चाहिए। यह अलार्मिंग साइन है।
सभी पैरेंट्स ध्यान दें
पैरेंट्स को बच्चे की रुचि और क्षमता मालूम होनी चाहिए।
बच्चे को स्टोरी फॉर्म में बताएं फेलियर से सक्सेस का रास्ता।
व्यवहार में कोई परिवर्तन देखें तो उसे नजरअंदाज नहीं करें।
बच्चे के मन को टटोलने के लिए उसके साथ समय बिताएं।
डाइनिंग टेबल पर बच्चे के साथ बात करना अच्छा रहेगा।

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