आयोजकों ने बताया कि इस होलिका दहन के लिए गंजापारा के निवासी अपने-अपने घरों से कंडे बनाकर लाते हैं, ताकि सिर्फ कंडों की होली जलाई जा सकें। साथ ही रात को पूजा के वक्त कपूर भी लेकर आते हैं, जिसे वे होलिका में डालते हैं। ताकि वायुमंडल में फैले वायरस भी नष्ट हो जाएं। इधर राजनांदगांव में भी राजस्थानी, मारवाड़ी महिलाओं ने गोबर के उपले से होलिका सजाकर उसकी पूजा-अर्चना की। देर शाम होलिका दहन के बाद रंग गुलाल खेला जाएगा।
पौने 11 बजे से भद्राकालरंगों के इस पर्व से पहले होलिका दहन पर इस बार दिनभर भद्रा का साया रहेगा। होलिका दहन के लिए लोगों को रात 9 बजे तक का इंतजार करना होगा। ट्विनसिटी में एक हजार से ज्यादा छोटी-बड़ी जगहों पर होलिका दहन होगा। जिसके लिए गली-मोहल्ले में तैयारी हो चुकी है। बच्चों से लेकर युवाओं ने होलिका सजा दी है। जो कल रात 9 बजे के बाद जलाई जाएगी। इधर राजस्थानी समाज के लोग सुबह होलिका की पूजा करेंगे। लेकिन रात में होलिका दहन के वक्त दोबारा पूजन करेंगे।
फाग गीतों के संग जब नगाड़ा बजता है तब लोग खुद को थिरकने से रोक नहीं पाते हैं। शहर में भी होली के लिए कई दिनों पहले शहर में नगाड़े बिकने आ गए हैं। खैरागढ़ क्षेत्र से नगाड़ा बेचने आए लोगों का कहना है कि भले ही डीजे का जमाना है पर होली पर नगाड़े बजाने का अलग ही मजा है। बाजार में इस साल चालीस रुपए से लेकर नौ सौ रुपए तक के नगाड़े उपलब्ध हैं।
शुरू होगी गणगौर की तैयारी
होलिका दहन के अगले धुलेंडी के बाद अग्रवाल समाज की महिलाएं गणगौर की तैयारी करेंगी। होलिका की राख मिलाकर ही गणगौर की मूर्ति बनाई जाएगी जिसकी पूरे 15 दिनों तक पूजा की जाएगी।