एडवांस मांगा था एक लाख
मृतका की पत्नी तृप्ति साहू ने बताया कि मरीज योगेश कुमार साहू को 14 और 15 अप्रैल के दरमियानी रात में भिलाई-तीन के सनशाईन हॉस्पिटल में दाखिल किए। तब अस्पताल प्रबंधन ने एक लाख एडवांस लिया और बेहतर इलाज करने का भरोसा दिलाया। अस्पताल में लाने के बाद कहा कि बेड खाली होते ही मरीज को आइसीयू में शिफ्ट करेंगे। इसके बाद 19 अप्रैल 2021 को आइसीयू में शिफ्ट किए और रात तक उनकी मौत हो गई। शिकायत की जांच करने वाली टीम ने इलाज के दौरान अधिक वसूले 48 सौ लौटाने के लिए अस्पताल से कहा और 20 हजार रुपए जुर्माना लगाया।
यहां उठ रहे सवाल
जांच को लेकर पीडि़त परिवार कई सवाल खड़े कर रहा है, जिसमें जब मरीज अधिक सीरियस था तब उसे आईसीयू में शिफ्ट क्यों नहीं किए। अस्पताल में दाखिल किए, तब कहा गया कि मरीज को ऑक्सीजन सपोट की जरूरत है। वहीं अस्पताल में उन्हें नार्मल बेड में रखा गया। यह लापरवाही नहीं है क्या। पति ने फोन पर १५ अप्रैल को बताया कि प्रबंधन पैसा और जमा करने पर आगे के इलाज की बात कह रहा है। यह बात अस्पताल प्रबंधन ने सीधे परिवार वालों से नहीं कहा। अस्पताल प्रबंधन को दाखिल होने से पहले ही एडवांस में पैसा जमा करवा दिए थे।
वेंटिलेटर का भरोसा दिलाया पहले और बाद में किए हाथ खड़ा
पीडि़ता ने बताया कि जब पति को अस्पताल में दाखिल किया जा रहा था, तब पूछने पर अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि उनके अस्पताल में चार वेंटिलेटर बेड है। इस वजह से ही एडवांस में यह रकम लिए हैं। 19 अप्रैल को आईसीयू में अचानक पति को लेकर गए। एकाएक आईसीयू में लेकर जाने का कारण नहीं बताया जा रहा था।
जांच कमेटी ने खुद प्रतिवेदन में मरीज की स्थिति को बताया गंभीर:-
शिकायत पर चीफ मेडिकल हेल्थ ऑफिसर गंभीर सिंह ठाकुर ने जांच कमेटी गठित की जिसमें डॉक्टर सतीश कुमार मेश्राम और डॉक्टर अर्चना चौहान शामिल थे। जिनके प्रतिवेदन में खुद यह बात सामने आ रही है कि मरीज गंभीर था। परिवार यही सवाल कर रहा है कि जब गंभीर था तब मरीज को नार्मल बेड में क्यों रखे। दाखिल करने से पहले कहा कि वेंटिलेटर है और बाद में हाथ खड़ा किए।
– मृतक योगेश कुमार साहू का कोविड-19 पॉजिटिव होने के कारण 15 से 19 अप्रैल 2021 तक निजी अस्पताल सनशाईन, भिलाई-तीन में इलाज हुआ।
– मरीज योगेश कुमार साहू का एचआरसीटी स्कोर 22 से 25 था। जो कि गंभीर श्रेणी में था। मरीज की शारीरिक स्थिति के बारे में बताया गया था। रिश्तेदार डॉक्टर छत्रपाल साहू रायपुर को फोन पर बताया।
– मरीज के गंभीर होने पर कांउसलिंग की गई व अन्य अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा हो तो ले जाने कहा गया। मरीज को ले नहीं गए और मरीज की मौत हो गई।
– मृतक मरीज के स्वास्थ्य उपचार में लापरवाही प्रतीत नहीं होती।