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पत्रिका पैरेंटिंग टुडे : कंटेट पर ध्यान दें तो कॉन्फिडेंस अपने आप डेवलप होगा

पैरेंटिंग टुडे के कार्यक्रम में जब आठवीं की शिखा मिश्रा ने धीरे से उठकर यह कहा कि उसे अपना आत्मविश्वास कैसे बनाए रखना है तो यह सवाल बहुत ही सामान्य सा था, लेकिन एक्सपर्ट के जवाब पाकर जब भीड़ के बीच उसकी आंखें छलक उठी तो वहां बैठा हर कोई उसे देखने लगा।

भिलाईFeb 21, 2020 / 11:24 pm

Satya Narayan Shukla

पत्रिका पैरेंटिंग टुडे : कंटेट पर ध्यान दें तो कॉन्फिडेंस अपने आप डेवलप होगा

पत्रिका पैरेंटिंग टुडे : कंटेट पर ध्यान दें तो कॉन्फिडेंस अपने आप डेवलप होगा

भिलाई@Patrika. पैरेंटिंग टुडे के कार्यक्रम में जब आठवीं की शिखा मिश्रा ने धीरे से उठकर यह कहा कि उसे अपना आत्मविश्वास कैसे बनाए रखना है तो यह सवाल बहुत ही सामान्य सा था, लेकिन एक्सपर्ट के जवाब पाकर जब भीड़ के बीच उसकी आंखें छलक उठी तो वहां बैठा हर कोई उसे देखने लगा। पर जब अगले ही पल अपनी भीगी पलकों से उसने यह कहा कि अब उसे डर नहीं लगेगा तो लोग तालियां बजाने लग गए। कुरुद स्थित सुंदर विहार फेस टू में स्थित एलीट स्कॉलर एकेडमी में पत्रिका और सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के पैरेंटिंग टुडे में लाइफ कोच चिरंजीव जैन और कॅरियर काउंसिलर डॉ किशोर दत्ता ने बच्चों से लेकर पैरेंट्स और प्रिंसिपल ने भी अपने सवाल पूछे। इस मौके पर लाइफ कोच चिरंजीव जैन ने पैरेटिंग के मायने बताए। उन्होंने कहा कि पैरेटिंग उस वक्त कमजोर पडऩे लगती है जब पैरेट्स और बच्चे के बीच संवाद कमजोर पडऩे लगता है। इसलिए जरूरी है कि चाहे बच्चे हो या पैरेंट्स वे एक दूसरे के साथ समय जरूर बिताएं। फिर वह समय एक वक्त के भोजन का ही क्यों न हो। इस अवसर पर स्कूल की डायरेक्टर मैडम चांद, प्रिंसिपल नुपूर चांद, डॉ अरविंद सहित स्टॉफ मौजूद थे।
नेचर के साथ रहें
पैरेटिंग कोच चिरंजीव जैन ने कहा कि आज की पीढ़ी प्रकृति से दूर होती चली जा रही है। अब पैरेट्स की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। पैरेंट्स बच्चों को अच्छा खिला रहे हैं,लेकिन उस अच्छे खाने के बाद बच्चों को मेहनत करना नहीं सिखाते। उन्हें घर के बाहर खेल के मैदान में पसीना बहाने भी नहीं देते। उन्होंने कहा कि बच्चों का किसी भी एक खेल से जोड़े रखें और कोशिश करें कि वह मोबाइल से जितना हो सके उतना दूर रखें।
बच्चों के पैरेंट्स ही रहें
डॉ किशोर दत्ता ने कहा कि पैरेट्स अक्सर बच्चों की पढ़ाई के पीछे ही पड़ते हैं। पर ऐसा करना गलत है। स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए टीचर काफी है, लेकिन उन्हें पैरेंट्स सिर्फ घर पर ही मिलते हैं। इसलिए उनके पैरेंट्स और दोस्त बनकर रहें ताकि वह आपको अपने दिल की हर बात बताए।
यह पूछे सवाल
0- मेरा बेटा क्लास 8 में हैं और बेटे का पढ़ाई में मन नहीं लगता, बस मोबाइल में ही लगा रहता है।- बबीता सिंह
00- सबसे पहले आप उससे कोई डील करने की बजाए सीधे संवाद करें।उसे मोबाइल के नुकसान समझाएं और यह बताएं कि उसकी लाइफ में स्कूल में बचे पांच साल कितने कीमती है। अगर वो मोबाइल भी यूज करता है तो उसमें भी उसे काम की चीजों को ही देखने के बारे में समझाएं।
0- मेरा बच्चा सही ढंग से बैठकर नहीं पढ़ता, कभी लेटकर तो कभी गलत ढंग से बैठकर पढ़ाई करता है क्या करूं? – बी जया
00- सभी बच्चों की लर्निंग स्टाइल अलग-अलग होती है। बच्चा किस पोजिशन में बैठकर पढ़ रहा है इसका ध्यान रखने की बजाए कैसा पढ़ रहा है।उस पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है। बच्चा पैरेंट्स को देखकर ही कही न कही सीखता है, इसलिएखुदभी संयमित रहें ताकि बच्चे भी देखक अच्छी आदतें सीखें।
पत्रिका पैरेंटिंग टुडे : कंटेट पर ध्यान दें तो कॉन्फिडेंस अपने आप डेवलप होगा
3- पढ़ाई पर फोकस कैसें करें और कॉन्फिडेंस को कैसे बनाए रखें?
00- जिस चीज को करने से डर लगता है उसे करने की लगातार प्रैक्टिस कीजिए। अगर आप स्पीच देने से डरते हैं तो आइने के सामने प्रैक्टिस करें या एक दिन पहले आकर उसी जगह पर खड़े रहिए जहां अगले दिन आपको स्पीच देनी है और पॉजीटिव सोच के साथ ही अपनी तैयारी कीजिए। क्योंकि जब हम डरने लगते हैं तो डर वाले हार्मोन रिलीज होते हैं और हमें घबराहट होती है। घबराहट भी इसलिए होती है कि जब हमारी तैयारी पूरी नहीं होती। इसलिए कंटेट पर ध्यान दें तो कॉन्फिडेंस अपने आप डेवलप होगा।
4- मैथ्स पढऩा अच्छा नहीं लगता और पढ़ाई में लगातार एकाग्र नहीं हो पाती?- फिरदोस
00- मैथ्स पढऩे में तब मजा आएगा जब उसका फार्मूला याद होगा और जब यह आने लगेगा तो मैथ्स मैजिक जैसा लगेगा। रही बात एकाग्रता की तो वह लगातार प्रैटिक्स करने से ही आएगा और कोशिश करें कि ऐसा ग्रुप रखें जिसमें पढ़ाई को लेकर ज्यादा बातें हो।
5- मेरी बेटी पढ़ाई के वक्त नहीं पढ़ती, बल्कि जब खेलने बैठती है तो जमीन या किसी भी पेपर पर अपने स्कूल का होम वर्क करती है।- ज्योति तयायानी
00 आपकी बेटी का लर्निंग स्टाइल कायनेस्थेटिक है। उसके लिए ऐसा लर्निंग प्रोग्राम तैयार करें जो प्रैक्टिकली ज्यादा हो। ताकि वह देखकर सीख सकें।
6 – मैं एक स्कूल में प्रिंसिपल हूं, यहां बच्चे स्लो लर्नर भी है और कुछ की राइटिंग खराब है। इंप्रूव करने के लिए क्या करें?- शैलेन्द्र तिवारी
00- राइटिंग को लेकर थोड़ा रिसर्च करें, क्योंकि कई बार बच्चे तनाव में होते हैं या घर का माहौल ठीक नहीं होता तो उसका असर राइटिंग पर पड़ता है। वहीं ऐसे बच्चों को शुरूआत में कर्सिव राइटिंग प्रैक्टिस बुक में लिखने की आदत डालें। जबकि स्लो लर्नर बच्चों की पहचान कर उन्हें उनके ढंग से पढ़ाएं।
7- मैडम के सामने आते ही सब कुछ भूल जाता हूं- प्रथम
00-आप पर टीचर की इमेज हावी है। खुद को इससे बाहर निकालिए । जब भी मैडम क्लास में टेस्ट लेने की बात कहें उससे एक दिन पहले अपने दोस्त या भाई-बहन को टीचर की जगह खड़ा कर उनसे सवाल करने को कहें, ताकि आपके अंदर का डर खत्म हो जाए।
8 – स्कूल में बच्चों के पूरे डेवलपमेंट पर ध्यान दिया जाता है,लेकिन कुछ पैरेंट्स केवल एकेडमिक पर ही फोकस करना चाहते हैं क्या करें?- नुपूर चांद, प्रिंसिपल
00- सबसे पहले पैरेंट्स की काउंसिलिंग जरूरी है।स्कूल में आप कितना भी अच्छा क्यों न कर लें, लेकिन जब तक पैरेट्स को समझ नहीं आएगा उसका फायदा नहीं होगा, इसलिए पैरेंट्स का नॉलेज बढ़ाइए कि आखिर बच्चों का संपूर्ण विकास क्या होता है।
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