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भिलाई

आइएचएसडीपी आवास घोटाला, किराए का हिसाब नहीं दिया राजस्व निरीक्षक पर एफआइआर

352 आवासों की प्रीमियम के हिसाब की फाइलें गायब करने वाले राजस्व निरीक्षक और सहायक ग्रेड-3 के कर्मचारी निलंबित

भिलाईNov 03, 2018 / 12:10 am

Bhuwan Sahu

patrika

आइएचएसडीपी आवास घोटाला, किराए का हिसाब नहीं दिया राजस्व निरीक्षक पर एफआइआर

दुर्ग . उरला आइएचएसडीपी के 352 आवासों की प्रीमियम के हिसाब की फाइलें व डिमांड रजिस्टर गायब होने के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए कमिश्नर लोकेश्वर साहू ने मामले में जिम्मेदारी तय करते हुए सहायक राजस्व निरीक्षक संजय मिश्रा और सहायक ग्रेड तीन मंदाकिनी वर्मा को निलंबित कर दिया है। दोनों कर्मियों ने 4 नोटिसों के बाद भी 8 माह में हिसाब व डिमांड रजिस्टर जमा नहीं कराया।
शहर को झोपड़ी मुक्त बनाने के मकसद से उरला में आइएचएसडीपी योजना के तहत आवास बनाए गए हैं। वर्ष 2007-08 में 16 करोड़ की लागत से बनी कॉलोनी में 18 मकानों वाले 91 ब्लॉक में 1638 आवास हैं। इन आवासों का आवंटन जनवरी 2010 से जनवरी 2016 के बीच हुआ हैं। इसके एवज में आवंटियों के प्रीमियम के साथ हर माह किस्त भी वसूल की जा रही है, लेकिन निगम के पास प्रीमियम की पहली किस्त के अलावा कोई भी हिसाब नहीं है।
8 साल बाद भी प्रीमियम का पहली किस्त

आइएचएसडीपी के 2 लाख कीमत के मकानों को केवल 3८ हजार में दिया जाना था। इसके लिए 2 से 5 हजार रुपए प्रीमियम तय किया गया था। प्रीमियम के बाद शेष राशि 800 रुपए प्रति माह के हिसाब से किराए के रूप में जमा कराया जाना था, लेकिन निगम के केवल 1280 हितग्राहियों के पहले किस्त का हिसाब है।
केवल दो हितग्राही का पूरा हिसाब

वर्ष 2010 से 2014 के बीच 406, नवंबर 2014 से जनवरी 2015 तक 374 और नवंबर 2015 से जनवरी 2016 के बीच 500 आवास का आवंटन किया। इनमें से केवल दो हितग्राही के प्रीमियम की पूरी राशि 38 हजार 637 का हिसाब निगम के पास है।
8 साल से हो रही हितग्राहियों से हर माह वसूली

निगम के सूत्रों की मानें तो बकायदा हर माह 800 रुपए की वसूली हो रही है। संबंधित अधिकारी केवल रजिस्टर में नाम लिखकर वसूली कर रहे थे, लेकिन इसका कोई भी हिसाब नगर निगम के पास नहीं है। हाल यह है कि कई हितग्राहियों की राशि प्रीमियम से ज्यादा हो चुका है, इसके बाद भी वसूली जारी है।
ले-आउट के लिए मिला था राष्ट्रीय पुरस्कार

उरला के आईएचएसडीपी कॉलोनी को निर्माण के दौरान उत्कृष्ट ले-आउट व बेहतर काम के लिए निगम प्रशासन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया था।पूर्व महापौर सरोज पांडेय के कार्यकाल में वर्ष 2009 में केंद्र के आवास व पर्यावरण मंत्रालय द्वारा यह पुरस्कार दिया गया था।
आरटीआई में सामने आ गया सच

आवासों के प्रीमियम की राशि का हिसाब नहीं होने का खुलासा सूचना का अधिकार में हुआ है। आरटीआई एक्टिविस्ट ज्वाला अग्रवाल ने इसकी जानकारी मांगी थी। इस पर जो जानकारी उपलब्ध कराई है, उसके मुताबिक निगम के पास आवासों का डिमांड रजिस्टर ही नहीं है। केवल 1280 हितग्राहियों का आवंटन के समय जमा कराए गए प्रीमियम की पहली किस्त की जानकारी है।
पत्रिका ने किया मामले का खुलासा

गरीबों के आवासों के प्रीमियम में गड़बड़ी का खुलासा पत्रिका ने किया था। 14 जुलाई को मामले का खुलासा करते हुए विस्तार पूर्वक समाचार भी प्रकाशित किया है। इसके बाद आवासों के प्रीमियम का काम देख रहे सहायक राजस्व निरीक्षक संजय मिश्रा व सहायक ग्रेड तीन मंदाकिनी वर्मा को नोटिस जारी किया गया था।
कमिश्नर लोकेश्वर साहू ने बताया कि दोनों कर्मचारियों को नोटिस जारी कर किस्त की राशि व डिमांड रजिस्टर की जानकारी जमा कराने कहा गया था, लेकिन कईअवसरों के बाद भी जमा नहीं कराई गई। इस पर दोनों कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। दोनों के खिलाफएफआइआर भी दर्ज कराने कहा गया है।

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