बताया जाता है कि यहां से जीते निर्दलीयों ने अपना अलग समूह बना लिया है। इन सात पार्षदों में से ही किसी एक को अध्यक्ष बनाया जाएगा। निर्दलीयों का कहना है कि हम लोग न तो भाजपा और न ही कांग्रेस का समर्थन कर अध्यक्ष बनने देंगे। निर्दलीय को अध्यक्ष बनाकर पूरे प्रदेश में यह संदेश देना चाहेंगे कि पार्टियां यदि निष्ठावान और सक्रिय कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करेगी तो बगावत कर निर्दलीय भी नगर सरकार बना सकते है। इससे राजनीतिक दलों को भी सक्रिय और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की टिकट काटकर पैराशूट प्रत्याशी उतारने की परांपरा पर विराम भी लगेगा। भविष्य में राजनीतिक दलों को इस विषय पर सोचना पड़ेगा।
चुनाव परिणाम के बाद संख्या कम होने पर राजनीतिक दलों द्वारा निर्दलीय को खरीदने और पैसे में बिकने के आरोप लगते रहे हैं। निर्दलीय यह भी संदेश देना चाहेंगे कि अब आगे की राजनीति में खरीद फरोख्त पर विराम लगेगा। अब ऐसा नहीं चलेगा कि निर्दलीयों को धनराशि देकर खरीद लो और सरकार बनाकर अपनी मनमर्जी करते रहो। निर्दलीयों का भी अपना स्वाभिमान होता है। बिकने के बजाए वे भी नगर की सरकार चलाकर दिखा सकते हैं।