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भिलाई

स्मार्ट कार्ड और ATM की कोडिंग करेंगे IIT भिलाई के स्टूडेंट, दुनिया की नामी कंपनी देगी डिजिटल वॉलेट की सुरक्षा का प्रशिक्षण

हैकिंग और बैंकिंग फ्रॉड को रोकने में अपना योगदान देंगे। गुरुवार को आइआइटी भिलाई ने इंफिनियॉन टेक्नोलॉजी एजी सेमीकंडक्टर सॉल्युशन कंपनी के साथ समझौता किया है।

भिलाईOct 02, 2018 / 10:18 am

Dakshi Sahu

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स्मार्ट कार्ड और ATM की कोडिंग करेंगे IIT भिलाई के स्टूडेंट, दुनिया की नामी कंपनी देगी डिजिटल वॉलेट की सुरक्षा का प्रशिक्षण

भिलाई. स्मार्ट कार्ड,के्रडिट और डेबिट कार्ड जैसी तमाम सुविधाओं को सुरक्षित रखने के लिए बड़ा बदलाव किया जा रहा है। शायद आपको भी बैंक ने नया एटीएम दिया हो जो चिपयुक्त होगा। इस चिप को बनाने से लेकर इसकी कोडिंग और डिकोडिंग करने में अब आइआइटी भिलाई के होनहार भी परफैक्ट होंगे। हमारे आइआइटीयंस अपनी जानकारियों को सुरक्षित रखने के लिए नई बेहतर सुरक्षा तकनीकी का इजाद करेंगे।
सेमीकंडक्टर सॉल्युशन कंपनी के साथ समझौता
हैकिंग और बैंकिंग फ्रॉड को रोकने में अपना योगदान देंगे। गुरुवार को आइआइटी भिलाई ने इंफिनियॉन टेक्नोलॉजी एजी सेमीकंडक्टर सॉल्युशन कंपनी के साथ समझौता किया है। यह अमरीकी कंपनी है, जिसकी एक शाखा बैंगलुरु में भी स्थापित है। आइआइटी डायरेक्टर प्रो. रजत मूना और इंफिनियॉन इंडिया के एमडी विनय शेनॉय ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
विद्यार्थियों को क्या होगा फायदा
इंफिनियॉन कंपनी के एक्सपर्ट हमारे विद्यार्थियों को चिपकार्ड तकनीक की पूरी जानकारी देंगे। उन्हें डिजिटल वॉलेट की सुरक्षा के बारे में सीखने का मौका मिलेगा। इसके लिए जरूरी सॉफ्टवेयर बनाने में माहिर होंगे। हमारे छात्रों को कंपनी इंटर्न रखेगी।
हाथों हाथ नौकरियों के अवसर भी
इसमें आइआइटी भिलाई के सीए ब्रांच के विद्यार्थी हिस्सा लेंगे। भविष्य में पूरी तकनीकी चिप पर आधारित होगी, ऐसे में विद्यार्थियों को हाथों हाथ नौकरियों के अवसर भी बनेंगे। प्रोफेसर मूना ने बताया कि डिजिटल पेमेंट गेटवे की सुरक्षा पर बेहद ध्यान देना होता है, क्योंकि इसमें ग्राहक के बैंक से जुड़ी जानकारियां साझा होती है।
पहले फैकल्टी को मिलेगा प्रशिक्षण
सीएस की फैकल्टी डॉ. संजीब बनर्जी ने बताया कि इस एमओयू के तहत सबसे पहले कंपनी हमारी फैकल्टी को ट्रेनिंग देगी। कंपनी के एक्सपर्ट और आइआइटी फैकल्टी मिलकर चिपकार्ड के नए अनुप्रयोग पर काम करेगी। इसमें सीएस के बच्चों को भी जोड़ा जाएगा। उन्हें टॉस्क दिए जाएंगे। जिससे वे सॉफ्टवेयर मेकिंग और कोडिंग में माहिर तो होंगे ही साथ में भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए सॉफ्टवेयर विकास कार्य में जुडऩे का मौका भी मिलेगा।
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