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Breaking news कांकेर की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी अब रात को मच्छरदानी लगाने गूंजेगी मिनानिनों की सीटी

प्रदेश के तरीके को कारगर माना तीन राज्यों की बैठक में.

भिलाईAug 01, 2021 / 10:56 pm

Abdul Salam

Breaking news कांकेर की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी अब रात को मच्छरदानी लगाने गूंजेगी मिनानिनों की सीटी

Video कांकेर

भिलाई. मलेरिया से सुदूर ग्रामीण अंचल में रहने वालों को मच्छरों व अन्य जीवों से बचाने के लिए जिस तरह के काम कांकेर में हो रहे हैं। उसको देख पड़ोस के राज्य महाराष्ट्र के विशेषज्ञ तक हैरान रह गए। वे अब उन तरीकों गढ़चिरौली और गोदियां में अपनाने जा रहे हैं। यह छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है। छत्तीसगढ़ के कांकेर में इस कोशिश से मलेरिया के केस आंकड़ों में भी तेजी से कम हुए हैं। इसके लिए विभाग के साथ-साथ मिनानिनों की ओर से किए जा रहे प्रयास अहम रहे है। यह सबकुछ उस वक्त सामने आया जब छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की सीमा से लगे अन्य राज्य मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के जिलों से आए विशेषज्ञों ने अपने-अपने जिलों में मलेरिया को लेकर किए जा रहे काम की जानकारी दी।

ग्रामीणों को 4,57,133 मच्छरदानी बांटी
कांकेर के 1024 गांव में स्वास्थ्य विभाग ने 2018 में 1,00,834 मच्छरदानी और 2019 में 3,56,299 मच्छरदानी बांट दी। यह काम मितानिनों के माध्यम से भी किए गए। इसके बाद विभाग ने तय किया कि ग्रामीणों को मच्छरदानी उपयोग करने के लिए जागरूक करना होगा। तरह-तरह से उनको इस दवा युक्त मच्छरदानी की जानकारी दी गई। तब भी वैसा प्रतिसाद नहीं मिल रहा था, जिसकी उम्मीद वे कर रहे थे।

देश की हिफाजत कर रहे जवान, ग्रामीण अंचल में मितानिनों ने संभाला है मोर्चा
कांकेर के 1024 गांव में 3290 मितानिनों को तैनात किए। इन सभी के हाथ में स्वास्थ्य विभाग ने सीटी थमा दिया। गांव के लोगों को मितानिनों ने बताया कि रात 7 बजे के बाद वे जैसे ही सीटी बजाना शुरू करेंगे लोग उसके पहले या उस समय अपने घर के बिस्तर में मच्छरदानी को लगा लें। मितानिन इसकी किसी भी घर में जाकर जांच भी कर सकती है। जब इसे शुरू किए तो लोगों ने भी इस उपाय को अपनाया। मितानिनों ने सीटी बजाने के बाद कई घरों में जाकर देखा तो सभी ने मच्छरदानी बिस्तर में लगा दी थी। तब मच्छर से मुकाबला करने यह बेहतर तरीका माना गया।

6 गुना घट गए मलेरिया के मामले
जिला में मलेरिया के मामले पांच साल में 6 गुना तक घट चुके हैं। पहले जहां साल में 12,000 से अधिक केस मिल रहे थे। वह अब घटकर 2,500 से भी कम हो चुके हैं। कांकेर में की गई कवायद को महाराष्ट्र के विशेषज्ञों ने बेहतर माना, उन्होंने बैठक में इस तर्ज पर अपने जिलों में भी काम करने की बात कही। वे छत्तीसगढ़ से लगे महाराष्ट्र के जिलों में सबसे पहले इस तरीके को अमलीजामा पहनाने की तैयारी कर रहे हैं।

अलग-अलग राज्यों के विशेषज्ञ शामिल हुए सेमिनार में
निजी होटल में हुए इस सेमिनार में कांकेर से जिला मलेरिया सलाहकार, राजनांदगांव से सीएमएचओ डॉक्टर मिथिलेश चौधरी, राजनांदगांव जिला मलेरिया सलाहकार संगीता पाण्डेय, महाराष्ट्र के गोदियां से सीएमएचओ और डीएमओ, गढ़चिरौली से सीएमएचओ और डीएमओ, मध्यप्रदेश के बालाघाट जिला से सीएमएचओ देश पाण्डेय और डीएमओ, बालोद से सीएमएचओ और डीएमओ, कवर्धा से सीएमएचओ डॉक्टर एसके मंडल और डीएमओ, दुर्ग से प्रभारी सहायक मलेरिया अधिकारी व एमटीएस रायपुर से राज्य सलाहकार एस पटनायक, राज्य कार्यक्रम अधिकारी (मलेरिया) डॉक्टर जितेंद्र सिंह, रिजनल डायरेक्टर डॉक्टर के कांबले, राजनांदगांव के कलेक्टर, शहीद हॉस्पिटल, दल्ली राजहरा के डॉक्टर सहवाल जाना भी मौजूद थे।

लोगों की हिफाजत करना पहली प्राथमिकता

डॉक्टर जेएल यूके, चीफ मेडिकल हेल्थ ऑफिसर, कांकेर ने बताया कि ग्रामीण अंचल में पिछले दो साल के दौरान चार लाख से अधिक मच्छरदानी बांटी गई। इसके पीछे मंशा थी कि लोगों को मलेरिया और डेंगू समेत अन्य जीव से बचाया जा सके। इसमें हमे काफी हद तक कामयाबी मिली है।

मितानिनों की भूमिका बेहतर
मीना शर्मा, जिला सलाहकार, कांकेर ने बताया कि कांकेर जिला में लोगों ने भी इस अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। यहां के सौ फीसदी लोग मच्छरदानी का उपयोग सीटी बजते ही करते हैं। इसमें बड़ी भूमिका मितानिनों की रही है।

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