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भिलाई

देखो .. बुजुर्ग ने 22 साल में रोप दिए 45 हजार पौधे

रिटायर्ड होने के बाद पूरा पैसा खर्च कर दिया पर्यावरण संरक्षण में

भिलाईJun 02, 2023 / 09:57 pm

Abdul Salam

देखो .. बुजुर्ग ने 22 साल में रोप दिए 45 हजार पौधे

देखो .. बुजुर्ग ने 22 साल में रोप दिए 45 हजार पौधे

भिलाई. भिलाई स्टील प्लांट से रिटायर्ड होने के बाद होशराम वर्मा अपने पदुमनगर स्थित आवास में रहने लगे। इस दौरान देखा महिलाओं को पूजा करने के लिए न पीपल का पेड़ है और न कोई दूसरा। तब उन्होंने ठाना कि यहां पर्यावरण की दिशा में काम करेंगे। पौधा लगाने का जुनून उनमें इस कदर हावी हो गया कि वे सुबह से शाम तक केवल पौध रोपण पर ही ध्यान देते। इस तरह से उन्होंने पदुमनगर, सिरसा गेट, भिलाई-3 में हर जगह पौध रोपण करने में जुट गए।

मुक्तिधाम में लगाया पौधा
पदुमनगर में करीब 20 साल पहले एक व्यक्ति की मौत हुई। लोग अंतिम संस्कार करने उमदा रोड स्थित मुक्तिधाम गए। मई का महीना था, गर्मी की वजह से लोग मुक्तिधाम में खड़े नहीं हो पा रहे थे। वहां एक पेड़ नहीं था। तब होशराम वर्मा ने यहां पौध रोपण करने का काम शुरू किया। अब मुक्तिधाम में सिर्फ पेड़ ही पेड़ नजर आते हैं।

रिटायर्ड होने से जो पैसा मिला उसे भी लगा दिया
होशराम वर्मा असल में एक मिसाल हैं आने वाली जनरेशन के लिए। 82 साल की उम्र में भी वे पौधे लगा रहे हैं। बीएसपी से रिटायर्ड हुए, तब पूरा पैसा पर्यावरण के लिए खर्च कर दिया। उन्होंने बताया कि भिलाई इस्पात संयंत्र से रिटायर्ड होने पर मिले 6 लाख रुपए से अधिक की राशि को इस काम में खर्च कर दिया। इस पैसों से पौधों को बचाने के लिए ट्री गार्ड लगा दिया। लोगों के घरों से पुराने कूलर खरीदे उसे भी पौधों की सुरक्षा में लगा दिया। पौधों में पानी डलवाया। 22 साल में उन्होंने 45 हजार पौधे से अधिक पौधे रोप दिए हैं।

लगा दिए पौधों की फसल
उन्होंने पदुम नगर में एक मकान के घेरे में खुद की नर्सरी ही बना ली। जहां वे सीजन के पौधे भी लगा रहे हैं। यहां से पौधों को निकालकर अलग-अलग स्थानों में रोपने का कार्य भी वह अपने हाथों से खुद ही करते हैं। पौधों को रोपने के बाद उसे पानी देने का कार्य भी वह खुद ही करता है।

राहगीरों को मिली छांव
पदुमनगर पहुंच मार्ग में 22 साल पहले एक भी पेड़ नहीं था। तब राष्ट्रीय राजमार्ग से पदुमनगर आने तक राहगीर छांव के लिए तरस जाता था। तब उन्होंने सड़क के दोनों ओर पौधों को रोपना शुरू किया। इसके बाद गर्मियों में हर दिन पौधों को पानी देते थे। तब यह पौधे कुछ साल के बाद पेड़ बनकर तैयार हो गए।

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