एचआईवी जांच के लिए जिले में मोबाइल टीम है। वर्ष २०१६ में मोबाइल टीम जब जेल पहुंची तो जांच के बाद आए रिपोर्ट ने सब को चौका दिया। जेल के चार दीवारी में ही १८ पॉजीटिव मरीज मिले थे। जिनका पंजीयन तत्काल एआरटी सेंटर दुर्ग में किया गया। वर्तमान में मोबाइल टीम सप्ताह में एक बार जेल पहुंचकर नए बंदियों की जांच करती है। जिले में एचआईवी पॉजीटिव महिलाओं की संख्या भी कॉफी है। कई महिलाओं को एचआईवी होने का पता गर्भवती होने के बाद चला। वर्ष २०१६ में छह एचआईवी महिलाओं का प्रसव कराया गया था। प्रसव के बाद नवजात का एचआईवी टेस्ट कराया गया। जांच के लिए संपैल कोलकाता भेजा गया था।
जांच में पॉजीटिव आए हर मरीज का ईलाज एआरटी सेंटर में नहीं किया जाता है। पॉजीटिव मरीजों की पहले काउंसलिंग की जाता है। इसके बाद उन्हें समय-समय पर जांच के निर्देश दिए जाते हंै। जांच में एचआईवी ५०० सीडी ४ आने पर उपचार शुरू किया जाता है।
सीएमएचओ डॉ. सुभाष पाण्डेय ने बताया कि आने वाले समय में सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में एचआईवी जांच की सुविधा होगी। इसके लिए हम कार्ययोजना तैयार कर पहल कर रहे हैं। उन स्वास्थ्य केन्द्रों में भी एचआईवी जांच की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं जहां गर्भवती महिलाओं का मासिक परीक्षण होता है। क्योंकि गर्भवती की एचआईवी जांच अनिवार्य है।
१. रायपुर २. दुर्ग ३. रायगढ
४. बिलासपुर ५. अबिकापुर साल दर साल बढ़ते जा रहे जिले में एचआईवी पॉजीटिव
वर्ष जांच पॉजीटिव
२०१०-११ ९३०४ २७०
२०११-१२ १७५९३ ४८९
२०१२-१३ २६०४८ ६२२
२०१३-१४ २६३८५ ४९७
२०१४-१५ ३००७८ ५१०
२०१५-१६ ३३५८८ ४७६
२०१६-१७ ३४५५६ ४७७