बाउंड्रीवाल बताकर तोड़ दिए कमरा
विभाग ने 129 लोगों को अंतिम नोटिस थमाया। नोटिस में कहा गया कि सड़क सीमा में किए गए अतिक्रमण को हटा दिया जाए। सात दिन का समय दिया गया था। लोग इस बात से हैरान थे कि आखिर कहां तक हटाना है यह क्यों नहीं बताया गया है। अगर यह साफ होता तो वे खुद अपने दीवार से ईंटा निकालकर हटा लेते। इसी तरह से बाउंड्री वाल के नाम पर जिस तरह से कमरे को ढहा दिए हैं। यह तो पूरी तरह से गलत है।
129 को दिया नोटिस तोड़ा बीस
विभाग ने नोटिस अधिक लोगों को दिया, लेकिन कार्रवाई केवल पंचायत क्षेत्र में आने वाले करीब 20 के खिलाफ की गई। उसमें से भी कुछ प्रभावशाली लोगों को खुद हटा लेना कहकर लौट गए। इसी तरह से निगम क्षेत्र में आने वाले कब्जों को भी लोगों से कहा गया कि खुद हटा लो। पंचायत क्षेत्र में रहने वाले इस बात से ही दुखी है कि पक्षपात क्यों किया गया। एक के कब्जे को तोड़कर दूसरे को छोड़ा जा रहा है।
कांग्रेस नेताओं ने आकर रुकवा दी कार्रवाई
लोगों का कहना है कि जब तक कांग्रेस के महासचिव अरुण सिंह सिसोदिया व इरफान खान आकर तोडफ़ोड़ कार्रवाई को रोकने कहते, तब तक बीस से अधिक कब्जे टूट चुके थे। नेताओं ने आकर लोगों को खुद कब्जा हटा लेने कहा। इसके बाद तोडफ़ोड़ टीम लौट गई।
हमारा कब्जा क्यों टूटा
डी राम साहू, निवासी ग्राम खपरी, कुटेला भांठा ने बताया कि लोक निर्माण विभाग ने बताया नहीं कि कितना कब्जा को तोडऩा है। आते ही बाउंड्रीवाल और इसके बाद कमरों को भी गिरा दिया। दूसरों को खुद हटाने कहकर टीम लौट गई। हमारा ही कब्जा क्यों तोड़ा गया।
एक जैसी हो कार्रवाई
नंद कुमार सागरवंशी, निवासी ग्राम खपरी, कुटेला भांठा ने बताया कि बिना पक्षपात के कार्रवाई किया जाना चाहिए। इस तरह से एक के घर को गिराओ दूसरे को बचा लो। यह भेदभाव है। अधिकारियों को ऐसे काम नहीं करना चाहिए।
लिलेश कुमार, निवासी ग्राम खपरी, कुटेला भांठा ने बताया कि बेदखली की कार्रवाई के दौरान जो चुपचाप कब्जे को तुड़वा रहे थे, उनके भीतर के कमरों को भी गिरा गए। वहीं जिनको बचाना था, उनके घरों को सड़क में होने के बाद भी नहीं छुआ।