बीते एक महीने से बाघ छका रहा वन अमला को, अब मेनखेड़ा जंगल क्षेत्र में मिले बाघ के पैर के निशान
भानुप्रतापुर के मेनखेड़ा जंगल क्षेत्र में बाघ का पदचिन्ह मिलने से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। पदचिन्ह मिलने के बाद बालोद व कांकेर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर मामले की जांच एवं लोगों को समझाने में जुटी रही।
बीते एक महीने से बाघ छका रहा वन अमला को, अब मेनखेड़ा जंगल क्षेत्र में मिले बाघ के पैर के निशान, लोगों में दहशत कायम
बालोद/डौंडी@Patrika. भानुप्रतापुर के मेनखेड़ा जंगल क्षेत्र में बाघ का पदचिन्ह मिलने से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। पदचिन्ह मिलने के बाद बालोद व कांकेर वन विभाग (Forest department) की टीम मौके पर पहुंचकर मामले की जांच एवं लोगों को समझाने में जुटी रही। (Wild animal)
जंगल की ओर आगे बढ़ गया जिले के डौंडी वन क्षेत्र में गाय और उसके बाद वन्य प्राणी नीलगाय (Nilgai hunting) का शिकार के बाद बाघ अब जिले के अंतिम छोर मेनखेड़ा के बांध के पास जंगल भानुप्रतापपुर की ओर चला गया है। वहां वन विभाग को बाघ के पदचिन्ह मिले हैं। डौंडी जंगल क्षेत्र में बाघ के आने की सूचना पर जिले व अन्य जिलों के वनविभाग की टीम पिछले चार दिनों से क्षेत्र की जंगलों में लगातार बाघ की गतिविधियों की पतासाजी कर रही है। बालोद डीएफओ सतोविशा समाजदार ने बताया कि बाघ अब भानुप्रतापपुर जंगल की ओर आगे बढ़ गया है।
Read more : बाघ के वापस गांव आने की सूचना से ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत, रात में किया गाय का शिकार बाघ 3-4 साल का नर जिस हिसाब से बाघ के पद चिन्ह मिल रहे है उससे प्रतीत होता है कि बाघ 3 से 4 साल का और नर है। जिस इलाके में बाघ के पद चिन्हों को देखे गए वहां के सीमावर्ती क्षेत्रों के ग्रामीणों को जंगल की ओर ना जाने की सलाह दी गई है। वहीं वन विभाग का मानना है कि यह बाघ रिहायशी इलाकों में नहीं जाएगा। यह बाघ केवल जंगल की ओर मादा बाघिन की तलाश कर रहा है। मादा बाघिन के मिल जाने से बाघ का अन्यत्र जंगलों में घूमना रुक जाएगा वह अपने नियत स्थान पर चला जाएगा। डीएफओ ने बताया कि जिस प्रकार राजनांदगांव की टीम ने बालोद जिले में रेस्क्यू में सहयोग किया है वैसे ही हमारे जिले के वन विभाग का अमला कांकेर जिले की टीम का सहयोग करेगा।
Read more : बाघ पहुंचा डौंडी वनांचल क्षेत्र में, पहले गाय और अब नीलगाय का किया शिकारजिले के विभिन्न क्षेत्रों में चहल कदमी से दहशत बता दें कि राजनांदगांव जिले के मनगटा में सबसे पहले बाघ देखे जाने के बाद लाटाबोड़ और गुरुर में बीते एक माह से जिले के विभिन्न क्षेत्रों में चहल कदमी से प्रभावित क्षेत्रवासी दहशत में है। जिले से लेकर प्रदेश वन विभाग के अधिकारी भी परेशान है। बाघ को पकडऩे जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक लगभग 600 से ज्यादा अधिकारी कर्मचारी लगे हुए है. पर अभी तक बाघ पकड़ से बाहर है। वन विभाग को गांव में दर्जन भर से अधिक जगहों पर बाघ के पैरों के निशान भी मिले और यहां वन विभाग ने रेस्क्यू भी चलाया पर बाघ का कही पता नहीं चल पाया। वन विभाग ने बाघ के पैरों के निशान आखिरी बार गुरुर के जंगलों में पाए जाने की बात कही थी। अब फिर से डौंडी ब्लाक में बाघ की आमद ने दहशत का माहौल बना दिया है।
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