नेहरू नगर से कुम्हारी तक 20 किलोमीटर दूरी तय करने में लोगों को मौत के रास्तों से गुजरना पड़ रहा। सबसे खतनाक पॉवर हाउस, डबरापारा और कुम्हारी के पास है। मंगलवार को एक बाइक सवार फिसलकर गिरते हुए नजर आए। कई लोग इसमें घायल भी हुए। वहीं पानी के बीच फोरलेन का अंदाज नहीं होने से मिट्टी के ढेर में कार फंस गई। चालक भीगते बारिश में कार को निकालने जुगत लगाते रहे। गौर करने की बात यह है कि एनएचएआई प्रबंधन ने जब मौसम साफ था तब सक्रियता नहीं दिखाई। बारिश होने लगी तो बजरी से पाट दिया। अब बजरी बाहर आ गई है। लोग बजरी मेें फिसलकर गिरते-पड़ते हुए घर पहुंच रहे हैं।
सिविल इंजीनियरिंग से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि फोरलेन पर पड़े गड्ढों की भराई जिस तरह से एनएचएआई प्रबंधन कर रहा है, ऐसा तो एक गांव का व्यक्ति भी कर सकता है, जो खेती किसानी करता है। प्रबंधन अतिरिक्त खर्च न आए, इसलिए बचाने पर लगा हुआ है। पीक समय को छोड़कर यदि प्रबंधन 6 घंटों को लिए ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर रूट को डायवर्ट करे और इसके बाद गड्ढों के पानी को हटाकर उस एरिया को सुखाने के बाद कांक्रीट फिलिंग करे तो हमेशा के लिए पकड़ लेगा। फिर वह नहीं उखड़ेगा।
बीएल देवांगन, मैनेजर एनएचएआई ने बताया कि थोड़ा डस्ट मिलावट के साथ एग्रीगेट मटेरियल से रोज गड्ढों की फिलिंग कराई जा रही है। 50 एमएम से लेकर 90 एमएम तक रोज बारिश हो रही है। कुम्हारी, डबरापारा और पावर हाउस तक गड्ढों में 35 गाडिय़ां माल डाल चुके है। इसका दूसरा कोई विकल्प नहीं है।