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भिलाई

हिम्मत है तो दुर्ग-रायपुर नेशनल हाइवे 53 पर चलकर दिखाएं, रास्ता पार करते हुए कहीं जानलेवा गड्ढे न बन जाएं आपका काल

National Highway 53: बारिश में गड्ढों की भराई के लिए हमारे पास और कोई अन्य विकल्प नहीं है, यह बोलकर एनएचएआई के अधिकारियों ने हाथ खड़े कर लिए हैं।

भिलाईSep 15, 2021 / 12:07 pm

Dakshi Sahu

हिम्मत है तो दुर्ग-रायपुर नेशनल हाइवे 53 पर चलकर दिखाएं, रास्ता पार करते हुए कहीं जानलेवा गड्ढे न बन जाएं आपका काल

हिम्मत है तो दुर्ग-रायपुर नेशनल हाइवे 53 पर चलकर दिखाएं, रास्ता पार करते हुए कहीं जानलेवा गड्ढे न बन जाएं आपका काल

भिलाई. इस वक्त दुर्ग-भिलाई-रायपुर फोरलेन की जो हालत है, हिम्मत है तो उस पर चलकर दिखाइए। नेशनल हाइवे-53 के खतरनाक गड्ढों की डब्ल्यूएमएम मटेरियल से फिलिंग कराई जा रही है, लेकिन बारिश में गड्ढों की बजरी बाहर आ जा रही और बाइक चालक फिसलकर गिर रहे हंै। जहां डस्ट डाले गए हैं, वहां दिनभर गाडिय़ां फंस रही है। बारिश में गड्ढों की भराई के लिए हमारे पास और कोई अन्य विकल्प नहीं है, यह बोलकर एनएचएआई के अधिकारियों ने हाथ खड़े कर लिए हैं। सच तो यह है कि इन अधिकारियों को राहगीरों के दर्द का कोई एहसास ही नहीं है। एहसास होता तो विकल्प पर भी विचार होता। ऐसे में राहगीरों की मुसीबत पहले से और बढ़ गई है। दोपहिया चालक तो परेशान हैं ही, अब तक चार पहिए वाहन चालकों का भी इस राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजरना दूभर हो गया है।
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20 किमी. की दूरी बनी मौत का रास्ता
नेहरू नगर से कुम्हारी तक 20 किलोमीटर दूरी तय करने में लोगों को मौत के रास्तों से गुजरना पड़ रहा। सबसे खतनाक पॉवर हाउस, डबरापारा और कुम्हारी के पास है। मंगलवार को एक बाइक सवार फिसलकर गिरते हुए नजर आए। कई लोग इसमें घायल भी हुए। वहीं पानी के बीच फोरलेन का अंदाज नहीं होने से मिट्टी के ढेर में कार फंस गई। चालक भीगते बारिश में कार को निकालने जुगत लगाते रहे। गौर करने की बात यह है कि एनएचएआई प्रबंधन ने जब मौसम साफ था तब सक्रियता नहीं दिखाई। बारिश होने लगी तो बजरी से पाट दिया। अब बजरी बाहर आ गई है। लोग बजरी मेें फिसलकर गिरते-पड़ते हुए घर पहुंच रहे हैं।
हिम्मत है तो दुर्ग-रायपुर नेशनल हाइवे 53 पर चलकर दिखाएं, रास्ता पार करते हुए कहीं जानलेवा गड्ढे न बन जाएं आपका काल
गड्ढों की फिलिंग बता रही इंजीनियरों की काबलियत
सिविल इंजीनियरिंग से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि फोरलेन पर पड़े गड्ढों की भराई जिस तरह से एनएचएआई प्रबंधन कर रहा है, ऐसा तो एक गांव का व्यक्ति भी कर सकता है, जो खेती किसानी करता है। प्रबंधन अतिरिक्त खर्च न आए, इसलिए बचाने पर लगा हुआ है। पीक समय को छोड़कर यदि प्रबंधन 6 घंटों को लिए ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर रूट को डायवर्ट करे और इसके बाद गड्ढों के पानी को हटाकर उस एरिया को सुखाने के बाद कांक्रीट फिलिंग करे तो हमेशा के लिए पकड़ लेगा। फिर वह नहीं उखड़ेगा।
रोज 90 एमएम बारिश हो रही, इसलिए आ रही दिक्कत
बीएल देवांगन, मैनेजर एनएचएआई ने बताया कि थोड़ा डस्ट मिलावट के साथ एग्रीगेट मटेरियल से रोज गड्ढों की फिलिंग कराई जा रही है। 50 एमएम से लेकर 90 एमएम तक रोज बारिश हो रही है। कुम्हारी, डबरापारा और पावर हाउस तक गड्ढों में 35 गाडिय़ां माल डाल चुके है। इसका दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

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