22 दिसंबर को पृथ्वी का दक्षिण ध्रुव सूर्य के सम्मुख और उत्तरी ध्रुव विमुख होता है। 23 दिसंबर से उत्तरायण होता है। 21 मार्च को दोनों ध्रुव न ही सम्मुख और विमुख होते हैं। 22 मार्च से उत्तरी धु्रव सूर्य के सम्मुख और दक्षिण ध्रुव विमुख होने लगता है, जो 21 जून को पूर्ण होता है। 22 जून से पृथ्वी सूर्य के दूसरी तरफ परिक्रमा करते हुए दक्षिणायन होता है जो 22 को पूर्ण होता है। उत्तरायण व दक्षिणायन की सीमा कर्क रेखा से मकर तक होती है। इस कारण इन अक्षांशों पर जीरो शेडो डे बनता है। यह साल में दो बार होती है।म्
श्रीवास्तव ने बताया कि जीरो शेडो की स्थिति कुछ ही समय के लिए होता है, लेकिन कोई भी व्यक्ति मामूली संसाधनों से इस स्थिति को देख सकता है। उन्होंने बताया कि इसके लिए 1 से 3 इंच की पीवीसी या लोहे की पाइप आंगन या छत पर समतल जगह पर सीधे खड़ी कर दे। गिलास को उल्टा रखकर भी यह प्रयोग किया जा सका है। पाइप या गिलास की छाया को 11.55 बजे से अवलोकन करें। इस समय छाया पश्चिम की ओर बनेगी। यह छाया धीरे-धीरे छोटी होती जाएगी और 12.2 बजे दुर्ग में, 12.1 बजे भिलाई छाया शून्य हो जाएगी। कुछ समय पर पूर्व की ओर छाया बनने लगेगी। कई लोगों ने इस घटनाक्रम को अपनी आंखों से देखा और महसूस किया।