पिंक टीम के पास अब तक 160 से ज्यादा फोन पर शिकायत आई और टीम ने आवेदिका के पास जाकर उसका निकारकण किया। टीम की सदस्य एएसआई संगीता मिश्रा ने बताया कि पिंक फ्रेंड बनने के बाद महिलाओं और लड़कियों को यह विश्वास हो गया है कि पुलिस उनकी मित्र बनकर मदद को तैयार है। पिंक टीम रक्षा टीम का ही बड़ा स्वरूप है। इन दिनों वे अपनी टीम के साथ कोचिंग, स्कूल और कॉलेज की लड़कियों को दोस्त बना रही है, ताकि उन्हें कोई दिक्कत हो तो तत्काल मदद मिल सकें। उन्होंने बताया कि पिंक टीम से मदद के लिए महिलाएं या युवतियां 91118-01091 पर फोन कर सकती है।
पिंक टीम से जुडऩे के बाद कई ऐसी महिलाएं और युवतियां है जिन्होंने अपना डर खत्म कर अपने सपनों को दोबारा देखने की हिम्मत जुटाई। आईयूसीएडब्ल्यू की प्रभारी निरीक्षक प्रभा राव ने बताया कि एक युवती अपना शॉप खोलना चाहती थी,लेकिन अकेले इस काम करने से डरती थी। पिंक फ्रेंड बनने के बाद उसने अपनी शॉप खोली और मन के डर को भगाया। ऐसा ही कुछ एक खिलाड़ी के साथ हुआ जो मैदान में प्रेक्टिस के लिए जाती थी, लेकिन सुबह कुछ लड़के लगातार उसे परेशान करते थे। जिसकी वजह से उसने ग्राउंड जाना छोड़ दिया, लेकिन पिंक टीम से मिली मदद के बाद वह दोबारा अपनी प्रैक्टिस कर पाई।
एक महिला का पति उससे झगड़ा कर मारपीट कर रहा था, पड़ोसी महिला पिछले दिनों ही सिविक सेंटर में पिंक फ्रेंड बनी थी, उसे याद आया और तत्काल उसने टीम को मदद के लिए फोन लगाया। पिंक टीम ने तत्काल पति और पत्नी दोनों को बुलाकर सुलह कराई।
एडिशनल एसपी (शहर) दुर्ग संजय ध्रुव ने बताया कि पिंक गश्त शुरू होने के मात्र एक महीने में ही मदद के लिए 160 से ज्यादा फोन आए। पिंक फ्रेंड बनने के बाद युवतियों और महिलाओं में अलग ही कॉन्फिडेंस आया है। उन्हें अब विश्वास हो गया है कि पिंक टीम से उन्हें किसी भी समय मदद मिल सकती है।