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भिलाई

प्रायमरी एजुकेशन के लिए नौनिहालों को घने जंगलों से होकर छह किमी दूर जाने की मजबूरी

देश की आजादी के बाद शहरी क्षेत्रों का विकास भले ही तेजी से हो रहा हो, पर जिले में शासन-प्रशासन के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास व सुविधा उपलब्ध कराने के दावे खोखले साबित हुए हैं। इसका उदाहरण सामने आया है।

भिलाईJan 17, 2019 / 05:59 pm

Satya Narayan Shukla

balod patrika

प्रायमरी एजुकेशन के लिए नौनिहाल को घने जंगलों से होकर छह किमी दूर जाने की मजबूरी

सतीश रजक/बालोद@Patrika. देश की आजादी के बाद शहरी क्षेत्रों का विकास भले ही तेजी से हो रहा हो, पर जिले में शासन-प्रशासन के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास व सुविधा उपलब्ध कराने के दावे खोखले साबित हुए हैं। इसका उदाहरण सामने आया है। @Patrika.जिले में एक ऐसा ग्राम जहां आज भी रहवासियों को हर काम के लिए छह किलोमीटर जंगल के रास्ते पैदल चलने की मजबूरी है। विडंबना ये है कि यहां तक नन्हें बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के लिए भी इतनी ही दूरी तय करनी पड़ती है। यह मामला है जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर डौंडीलोहारा विधानसभा के ग्राम घोरदा का, जहां शिक्षा की प्रारंभिक व्यवस्था तक नहीं है। इमरजेंसी में इस गांव में संजीवनी 108 व महतारी 102 वाहन तक नहीं पहुंच पाता।
आधा डर और आधा बल के साथ रोज इस तरह करते हैं सफर तय
यहां सबसे गंभीर समस्या है कि यहां के बच्चे पढ़ाई करने 6 किमी दूर पैदल चलकर स्कूल पहुंचने की है। यह मार्ग भी किसी खतरे से खाली नहीं है। सुनसान जंगल के रास्ते से बच्चे वन्य प्राणियों का डर और झिझक के बीच प्रतिदिन खाली पैर पैदल स्कूल पहुंचते हैं। @Patrika.यही नहीं इस गांव की परेशानियां समस्या यही खत्म नहीं होती। गांव की इस स्थिति को देखकर तो इस गांव में कोई अपनी बेटी देना नहीं चाहते। पर इस गांव की यह गंभीर समस्या आज भी शासन-प्रशासन के नजरों से दूर है। क्योंकि इस गांव में कोई अधिकारी नहीं आता, तो कहां इस गांव की समस्या दिखेगी।
नहीं है गांव में आंगनबाड़ी व स्कूल
ग्रामीण गायत्री बाई ने बताया गांव की जनसंख्या मात्र 60 है, पर यहां प्राथमिक शिक्षा के लिए स्कूल या आंगनबाड़ी नहीं है। @Patrika.कक्षा पहली की पढ़ाई करने भी यहां के छोटे-छोटे बच्चों को पैदल ही जंगल रास्ते से स्कूल जाना होता है। ग्रामीणों ने बताया गांव के 15 बच्चे शिक्षा ग्रहण करने ग्राम मडिय़ाकट्टा स्थित शासकीय स्कूल जाते हैं। गांव में बिजली तो है, पर गलियां अंधेरे में डूबी रहती है।

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