स्टेशन मास्टर एम खान ने बताया कि कोच लगभग एक माह पहले आया है। कोच एलएचबी है। इसका उपयोग संपर्क क्रांति, राजधानी या फिर हमसफर एक्सप्रेस में कोच की समस्या होने पर करना है। शीशे टूटने की जानकारी मंडल कार्यालय को दी गई है।
एक्स्ट्रा कोच को असुरक्षित तरीके से रखा गया है। नियमत: अतिरिक्त कोच को डिपो में शेड के नीचे या फिर ऐसे स्थान पर रखना है जहां आम आदमी पहुंच न पाए। आम तौर पर दुर्ग रेलवे स्टेशन के वाशिंग लाइन स्थित डिपो में जगह नहीं होने पर कोच को सुरक्षा के लिहाज से मरोदा यार्ड में रखने का प्रावधान है, लेकिन यह कोच गुड्स ट्रैक पर था।
विक्षिप्त व असामाजिक तत्वों पर आरपीएफ व जीआरपी दोनों का नियंत्रण नहीं है। एक वर्ष पहले असामाजिक तत्वों की वजह से एक्सप्रेस ट्रेन का एक कोच बेपटरी हो गई थी। वहीं छह माह पहले विक्षिप्त ने स्टेशन परिसर में बने ओवर हेड टैंक पर चढ़कर उत्पात मचाया था। उसे उतारने के लिए तीन घंटे तक मशक्कत करना पड़ी थी।