विरोधाभाषी समय का उल्लेख होने पर टीआई ने कहा कि जब्ती पत्र को मेरे निर्देश पर सहायक उपनिरीक्षक विनोद सिंह ने तैयार किया था। जिसे पढऩे के बाद ही उसने हस्ताक्षर किया है। जब्ती पत्र को पढ़कर हस्ताक्षर किया है इसलिए सहयोग करने वाले एएसआइ का लघु हस्ताक्षर लेना उपयुक्त नहीं समझा। उन्होंने अभियोग पत्र में संग्लन जिसे प्रदर्श डी ३ के रुप में चिन्हित किया गया उसे सही बताया।
टीआई ने बचाव पक्ष के अधिवक्ता तारेंद्र जैन के सवाल के जवाब में कहा कि उनके पास ऐसा कोई प्रमाण अभी नहीं है जिससे सिद्ध हो कि सीलबंद सामाग्रियों को खोलकर परीक्षण किया हो। फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम ने निरीक्षण के बाद ही घटना स्थल से जब्त साक्ष्यों को सील बंद किया है। मामले की सुनवाई अब १८ जून को होगी।