सेल प्रबंधन पर नहीं बना पा रहे दबाव
इस्पात श्रमिक मंच और छत्तीसगढ़ मजदूर संघ ने संयुक्त रूप से कहा है कि 2014 के बाद अब 4 साल बीत चुके हैं, बावजूद इसके पेंशन स्कीम को लागू नहीं किया जा सका है। सेल बोर्ड पक्र्स, पे अनमली, एंट्री लेवल पर निर्णय ले रही है। इसके बावजूद एनजेसीएस नेताओं ने प्रबंधन पर पेंशन फंड को रिलीज करने कोई दबाव नहीं बना पाए।
सिर्फ कर्मियों का अंशदान
संयुक्त यूनियन ने पूछा है कि क्या पेंशन फंड में सिर्फ कर्मियों के अंशदान का पैसा ही जाएगा। अगर ऐसा हुआ, तो यह कर्मियों के साथ सीधा विश्वासघात होगा, क्योंकि यह यूनियनें कर्मियों को 6 फीसदी पेंशन का लाभ वेतन समझौते की उपलब्धि बताती रही है।
ग्रेच्युटी सील्ड फिर भी ६ फीसदी अंशदान
छत्तीसगढ़ मजदूर संघ के अध्यक्ष गिरिराज देशमुख ने पेंशन समझौते पर कहा है डीपीई गाइड लाइन के मुताबिक रिटायर्ड लाभ 30 फीसदी हो सकता है, समझौते के तहत अधिकारियों की ग्रेच्युटी सील्ड होने के कारण उनको 9 फीसदी अंशदान कंपनी देगी। भिलाई सहित सेल में बड़ी संख्या में ऐसे नए कर्मी भी हैं, जिनकी ग्रेच्युटी 2014 से सील्ड है उन्हें फिर क्यों 6 फीसदी अंशदान की श्रेणी में रखा गया है। एनजेसीएस यूनियन इन कर्मियों के लिए 46 फीसदी पक्र्स व 9 फीसदी पेंशन का अंशदान मांगे या इनकी ग्रेच्युटी अनसील्ड करवाए।
पेंशन किसके पैसे पर
यूनियन पूछ रही है कि आखिर एसइएसबीएफ बोर्ड के गठन के समय यूनियन और प्रबंधन ने यह तय किया था कि इस फंड में कर्मियों का 2 फीसदी और प्रबंधन का बराबर का २ फीसदी अंशदान होगा। वहीं पिछले कुश वर्षों के अंतराल बाद प्रबंधन ने यह राशि देने से मना कर दिया तब से आज तक यह बोर्ड कर्मियों के अंशदान से ही चल रहा है। वर्तमान में जिस तरह से कंपनी पेंशन फंड में अपना अंशदान देने से मना कर रही है, हो सकता है भविष्य में इस योजना का पूरा भार कर्मियों के ऊपर ही आ जाए। ऐसी स्थिति में पेंशन कर्मियों के लिए एक घाटे का सौदा हो जाएगा।
कर्मियों को नुकसान का जवाब दे श्रमिक नेता
संयुक्त यूनियन ने कहा है कि इस्पात कर्मियों के साथ हो रहे दोहरे व्यवहार पर एनजेसीएस के नेता जवाब दें। आखिर कर्मचारियों को 5 साल के अंशदान के नुकसान का जिम्मेदार कौम। कर्मियों के लिए अंशदान 2012 से देय होगा, जबकि यही अंशदान अधिकारियों के लिए 2007 से देय है।