गंभीर जल संकट को अनदेखा कर शिवनाथ में जहां पानी है वहीं दे दी रेत खनन की मंजूरी
अवर्षा के कारण इस बार जिले में गंभीर जल संकट के आसार हैं। इसके बाद भी अफसरों ने शिवनाथ नदी पर जल भराव वाले इलाकों (कैचमेंट) में रेत खनन को मंजूरी दे द

दुर्ग . अवर्षा के कारण इस बार जिले में गंभीर जल संकट के आसार हैं। इसके बाद भी अफसरों ने शिवनाथ नदी पर जल भराव वाले इलाकों (कैचमेंट) में रेत खनन को मंजूरी दे दी। तिरगा, चंदखुरी और कोनारी में रेत कारोबारियों ने पानी में चेन माउंट मशीन भी उतार लिया है। नदी के भीतर बेतरतीब रेत खुदाई से पानी का बहाव बाधित हो रहा है। गर्मी शुरू होने के साथ अभी से जल संकट के हालात बन रहे हैं। सर्वाधिक खराब स्थिति दुर्ग व भिलाई नगर निगम क्षेत्र की है। यहां अभी से पेयजल संकट गहराने लगे है। शिवनाथ से दुर्ग-भिलाई नगर निगम के अलावा तट के 100 गांवों की प्यास बुझती है। जल संकट की स्थिति में शिवनाथ के रास्ते बालोद के खरखरा जलाशय से दुर्ग-भिलाई में सप्लाई के लिए महमरा एनीकट में पानी पहुंचाया जाता है। इस तरह खनन से एनीकट तक पानी पहुंचने में दिक्कत आएगी।
पिछले अनुभव से नहीं लिया सबक
वर्ष 2016 में भी इसी तरह की स्थिति बनी थी। तब जल संकट से जूझ रहे दुर्ग-भिलाई के लिए 600 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, लेकिन खदानों की बाधा के कारण &00 क्यूसेक पानी महमरा एनीकट तक पहुंच ही नहीं पाए। अफसरों ने इससे भी सबक नहीं लिया।
इस तरह समझे जल संकट के हालात को
जिले में इस बार 40 फीसदी कम बारिश हुई है। इससे नदी, तालाबों व जलाशयों में पर्याप्त जल भराव नहीं हुआ। जिले के पानी सप्लाई करने वाले तांदुला व खरखरा में इस समय महज &5 फीसदी पानी है। अवर्षा के कारण इस बार ग्राउंड वाटर लेबल भी करीब &0 फीसदी कम रिचार्ज हुआ। इसके चलते अभी से हैंडपम्पों का वाटर लेबल गिरने लगा है। धमधा में पिछले तीन महीनें में 8 से 9 फीट वाटर लेबल गिरा है। दुर्ग-भिलाई सहित समूचा जिला पेयजल के मामले में बालोद जिले के जलाशयों पर निर्भर है। इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। गांवों में निस्तारी का पानी भी बालोद से पहुंचता है। पिछले साल सामान्य बारिश व जलभराव के बाद भी जिले में भारी जल संकट की स्थिति रही। अप्रैल से जून तक चार बार जलाशयों से पानी छोडऩा पड़ा था।
रेत खदानों से यह परेशानी
दुर्ग-भिलाई में सप्लाई के लिए पानी खरखरा जलाशय से महमरा एनीकट लाया जाता है। इसके लिए पानी को करीब 70 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। रेत खदानों के टीलों व बंधान के कारण पानी की धार में बाधा पहुंचेगी, जलाशय से पानी वेस्टेज से बचाने के लिए किस्तों में छोड़ा जाता है। खदानों की बाधा से कम पानी छोड़े जाने पर पानी एनीकट तक नहीं पहुंचेगी। वर्ष 2016 में ऐसी स्थिति बन चुकी ह, ग्रीष्म के दौरान भी खदानों में रेत निकासी का काम चालू रहेगा। पानी भर जाने से खदान बंद हो जाने का खतरा रहेगा। ऐसे में खदान संचालक पानी डायवर्ट कर बहाव की दिशा बदल लेते हैं। ऐसे में पानी नहीं पहुंचेगा।
तीन खदनों को अनुमति
खनिज अधिकारी एचके मारवाह का कहना है कि डिमांड को देखते हुए अभी केवल & रेत खदानों को अनुमति दी गई है। तीनों पुराने खदान क्षेत्र हैं। फिलहाल इससे कोई भी परेशानी की स्थिति नहीं है। भविष्य में भी परेशानी नहीं हो इसका ध्यान रखा जाएगा। नियम के विरुद्ध या परेशानी हो ऐसा कोई काम खदानों में नहीं करने दिया जाएगा।
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