पुराने दोस्तों को एक-एक कर वाट्सअप ने जोड़ा। इसके बाद उसमें ही तारीख तय किए और मिलने का फैसला किया। तय किए कि उस स्कूल में ही मिलेंगे जहां पढ़ा करते थे। इस दौरान शिक्षकों को कैसे भूल सकते थे। उनको भी सम्मान के साथ बुलाया। स्कूल में जाकर उस क्लास रूम को सजाया। जहां 11 वीं पढ़ा था। एकत्र हुए तो उन साथियों को श्रधांजलि दी जो दुनिया से जा चुके हैं। गुरु का शाल श्रीफल से सम्मान किया।
इस दौरान हर किसी ने कहा कि छात्र जीवन स्वर्णिम काल था। एमएम त्रिपाठी ने अपने विचार रखे। अग्रवाल व ताम्रकार सर ने भी भौतिक विज्ञान के सूत्रों के आधार पर छात्रों के जीवन को समझाया। शाम तक रंगारंग कार्यक्रम किया। इस मौके पर आशु, अशोकानंद, फातिमा, बरुन, यतीन्द्र, अशोकानंद हेमंत जगम मौजूद थे।
लंबे समय के बाद भिलाई इस्पात संयंत्र के स्कूल के दोस्तों से मिले, तो वह पुराने दिन याद आ गए। एक दूसरे से गप्पे मारना, एक साथ खेलना और पढऩा। एक दूसरे के घरों में त्योहार के दौरान जाना। पढ़ाई में प्रतिस्पर्धा के बाद भी दोस्ती मेें दरार न आना। पुराने घनिष्ट मित्र मिले, तो उनकी आंखभर आई। एक दूसरे से अब जीवनभर वाट्सअप ग्रूप के माध्यम से जुड़े रहने का वादा किया। एक दूसरे के परिवार से मिलते रहने और अच्छे बुरे समय में साथ देने की बात कहकर अपने वर्तमान जीवन की ओर लौट गए।