शहर में सूदखोरों का आतंक दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, यहां सूदखोर गरीब व जरूरतमंदों को अनाप-शनाप ब्याज पर उधारी बांटते हंै। राशि नही पटाने की स्थिति में गरीबों को प्रताडि़त किया जाता है। इस संबंध में सिटी कोतवाली में कई शिकायतों के बावजूद प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से सूदखोरों के हौसले बुलंद हैं। उनकी प्रताडऩा से परेशान होकर लोग शहर छोडऩे के साथ आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।
मृतक की पत्नी ने बताया कि घटना के पांच दिनों बाद उसके पति के कपड़ा व्यापार के बही खाते में एक चि_ी मिली, जिसमें उसके पति ने बेमेतरा कपड़ा व्यापारी की ओर से परेशान करने का उल्लेख किया है। संबंधित कपड़ा व्यापारी पर कार्रवाई को लेकर सुसाइड नोट व बही खाते को देवकर पुलिस को सौंपा। लेकिन यहां देवकर पुलिस ने सुसाइड नोट को घटना के डेढ़ महीने बाद भी हैंड राइटिंग एक्सपर्ट को नहीं भेजकर अपने पास रखा हुआ है। पुलिस के इस रवैये पर परिवार वालों ने सवाल खड़े किए है।
महिला ने बताया कि उसका पति 17 साल से कपड़े का कारोबार कर रहा था, जो गांव-गांव में फेरी कर कपड़ा बेचा करते थे। 11 साल से बेमेतरा के संबंधित थोक व्यापारी से कपड़े की खरीदी कर रहे थे। उनकी आय से ही घर खर्च चलता था। अब उनकी मौत के बाद आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। 13 साल की बेटी कुसुम की तबीयत 10 महीने से खराब चल रही है। इलाज में हजारों रुपए खर्च हो चुके हैं। वहीं बेटा भूषण कॉलेज की पढ़ाई कर रहा है। आर्थिक संकट की वजह से दोनों की पढ़ाई छोडऩे की नौबत आ चुकी है।