मैत्रीबाग में घायल हिरण को अलग से कॉम्पलेक्स में रखा गया है।जहां उसका देख-रेख खुद डॉक्टर जीके दुबे और डॉक्टर एनके जैन कर रहे हैं। घायल हिरण को बचाने कवायद तेज कर दी गई है। कुत्तों ने हिरण को काटा है या नहीं यह साफ नहीं हो पाया है। इस वजह से उपचार भी प्रबंधन वन विभाग से पूछ-पूछकर रहा है।
हिरण के चेहरे पर भी गहरा चोट लगी है।यह चोट लोगों के पत्थर से लगा है या दौड़ते समय हिरण किसी से टकरा जाने से, यह भी स्पष्ट नहीं है। चिकित्सक हर पहलू को ध्यान में रखते हुए उसका उपचार कर रहे हैं।
वन विभाग की टीम को लोग सुबह ५ बजे से हिरण के जंगल से भटकर शहर में आ जाने की सूचना देना चाहते थे। यहां आसपास किसी के पास उनका संपर्क नंबर ही नहीं था।जिसकी वजह से लोगों ने मैत्रीबाग के किसी व्यक्ति से वन विभाग के अधिकारी का नंबर लेकर बात की,तब कहीं जाकर ७ बजे के बाद टीम खुर्सीपार पहुंची।हिरण को घेरकर पकड़ा गया और वाहन में उसे लेकर मैत्रीबाग पहुंचे।
मैत्रीबाग के चिकित्सकों ने जाली से बाहर निकलने के दौरान घायल हुई सोनम (सफेद बाघिन) को उपचार कर ठीक कर दिया है।महज दो साल की सोनम के गले में तार से गंभीर चोट लग गई थी। चिकित्सकों ने उसे खाना के साथदवा दिया।अब जख्म सूख गया है, तो उसे प्रबंधन ने सुल्तान के कक्ष में भेज दिया है।दोनों उस कक्ष में पहुंच गए हैं, जहां छोटे थे, तब रह रहे थे। केज के सामने हिस्से में सरिया लगाया जा चुका है, अब किनारे में भी लगाया जाएगा।इसके बाद ही दोनों को पर्यटकों के लिए केज पर लाया जाएगा।