scriptक्यों करती है शांता नवरात्रि पर पारंपरिक गहनों और लुगरा से माता का श्रृंगार | The RUPALI MAHTARI is engaged in saving the tradition of Chhattisgar | Patrika News
भिलाई

क्यों करती है शांता नवरात्रि पर पारंपरिक गहनों और लुगरा से माता का श्रृंगार

भिलाई. छत्तीसगढ़ प्रदेश को छत्तीसगढ़ के लोग मां के रूप में मानते हैं। छत्तीसगढ़ की अपनी अलग पहचान है और उस पहचान में उसके अपने पारंपरिक गहने और यहां का खास लुगरा( एक तरह की साड़ी) है, जो अब पहचान खोते जा रही थी, लेकिन भिलाई के सेक्टर 2 की निवासी शांता शर्मा छत्तीसगढिय़ा ने इन गहनों को खोज निकाला और अब वे इन गहनों से नवरात्रि पर माता का श्रृंगार करती है।

भिलाईApr 05, 2022 / 08:45 pm

Komal Purohit

tradition of Chhattisgar

नवरात्रि पर पारंपरिक गहनों और लुगरा से श्रृंगार

हमेशा पारंपरिक वेशभूषा में
अपनी संस्था रूपाली महतारी गुड़ी के माध्यम से शांता और उनकी साथी किसी भी कार्यक्रम में हमेशा छत्तीसगढ़ी वेशभूषा और छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहने पहनकर ही जाती है। वह बताती हैं कि पुराने समय में छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध देवी मंदिर दंतेवाड़ा की माई दंतेश्वरी, रतनपुर की माई महामाया, डोंगरगढ़ की माई बम्लेश्वरी और अंबिकापुर के महामाया मंदिर में राजा का परिवार उनका पारंपरिक गहनों से श्रृंगार किया करता था, लेकिन कई मंदिरों में गहने गायब हो गए और रजवाड़ों के खत्म होने के बाद यह परंपरा भी खत्म हो गई। वे अब इस परंपरा को दोबारा ंिजंदा करने नवरात्रि पर कुछ मंदिरो ंमें माता का श्रृंगार छत्तीसगढ़ी गहने और लुगरा से करती हैं।
कन्याओं को भी पारंपरिक गहने
शांता ने बताया कि नवमीं के दिन वह कन्या पूजन में भी कन्याओं को पारंपरिक वेशभूषा में तैयार कर भोजन कराती है, ताकि वे हमारी छत्तीसगढ़ महतारी की संस्कृतिक को जान सकें। शांता ने अब तक गहनों के प्रचार के लिए सांस्कृतिक यात्रा के दौरान पूरे छत्तीसगढ़ की यात्रा की है। इस दौरान वे स्कूल और कॉलेजों में जाकर गहनों की प्रदर्शनी भी लगाती है। उन्होंने बताया कि उनके पास दो सौ से ज्यादा लुप्त हो चुके पारंपरिक गहने हैं।

Home / Bhilai / क्यों करती है शांता नवरात्रि पर पारंपरिक गहनों और लुगरा से माता का श्रृंगार

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो