छत्तीसगढ़ इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल न्यायालय के न्यायधीश अगस्त 2017 में रिटायर्ड हुए थे। इसके बाद से यहां किसी भी न्यायधीश की नियुक्ति सरकार ने नहीं की है। जिससे परिवाद करने वाले परेशान हो रहे हैं। लंबित प्रकरण की जानकारी लेने के लिए तीनों राज्य से पीडि़त यहां लगातार पहुंच रहे हैं।
इस संबंध में दुर्ग के सांसद ताम्रध्वज साहू ने केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार को पत्र लिखा है। जिसमें छत्तीसगढ़ इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल में जज की न्युक्ति करने की मांग की गई है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि यहां तीन राज्य से आए श्रमिकों के प्रकरण का निपटारा होता है। वर्तमान में जज की नियुक्ति नहीं हुई है, जिसकी वजह से प्रकरण शिथिल पड़े हुए हैं। श्रमिक न्याय से वंचित हैं। पत्र लिखने की मांग इंटक के नेता अरुण सिंह सिसोदिया ने सांसद से की थी। सांसद ने कहा कि दिल्ली में श्रम मंत्री से मिलकर इस विषय पर वे चर्चा भी करेंगे।
मेटल माइंस वर्कर्स यूनियन के सूचना व विधि प्रकोष्ठ के सचिव आरबीके राव ने बताया कि जो मामले ट्रिब्यूनल में लंबित हैं, उस विषय पर किसी तरह का आदेश कंपनियों को जारी नहीं करना चाहिए। इसका उल्लंघन होता कई जगह नजर आ रहा है।
फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल) के यूनियन अध्यक्ष अरुण सिंह सिसोदिया को नौकरी से बर्खास्त करने का मामला छत्तीसगढ़ इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल में दो साल से लंबित है। केस-2
फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल) के १४ श्रमिकों को एफएसएनएल में नियमित करने का मामला दो साल से छत्तीसगढ़ इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल में लंबित है।
मेटल माइंस वर्कर्स यूनियन के 7 प्रकरण लंबित हैं। जिसमें 4 मामले जेपी सीमेंट के है, जिसमें सभी नौकरी से बर्खास्त करने का मसला है। बीएसपी के नंदिनी खदान से जुड़े तीन अन्य प्रकरण हैं, जिसमें गैर जिम्मेदाराना कार्रवाई का एक मामला है। दूसरा मामला ई-0 प्रमोशन का है। इस मामले में केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने 40 दिनों में कार्रवाई करने की बात कही थी। अब तक मामला ठंडे बस्ते में है।