इस टूर्नामेंट में सितारा बनकर उभरे प्रणोय ने अपने इस प्रदर्शन के लिए भिलाई के अभय पांडेय का आभार जताया है। उन्होंने अभय के अब तक के सहयोग व समर्थन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपनी जीत समर्पित की है। प्रणोय ने सोशल मीडिय पर खास तौर पर अभय पांडेय के लिए अपनी भावनाएं व्यक्त की है। उन्होंने लिखा है कि भारत के लिए पहला थॉमस कप जीतकर इतिहास रचने में सहभागी का अनुभव वास्तविक लगता है। यह एक ऐसा कारनामा है जो आने वाले वर्षों तक भारतीय खेल विधा में अंकित रहेगा। विभिन्न हितैषियों और शुभचिंतकों के समर्थन के बिना सफलता प्राप्त करना असंभव है। मैं अपने सबसे उत्साही समर्थकों में से एक अभय पांडे का हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जो पिछले एक साल से मुझे वित्तीय सहायता और हर तरह से संबल प्रदान कर रहे हैं। मैं इस जीत के साथ बिना शर्त की उनके विश्वास को चुकाने के लिए खुश हूं। मैं अन्य कॉरपोरेट्स और एचएनआई से भी यह कहना चाहूंगा कि उनका समर्थन एथलीटों को ऊंचाई तक ले जा सकता है। वे भी आगे आकर भारतीय खेल का समर्थन करें।
अभय ने आईआईटी बॉम्बे को दान में दिए 10 करोड़
इस्पात नगरी में पले-बढ़े अभय सेक्टर-8 में रहता था। उनके पिता कमलेश्वर पांडेय यहां एचएससीएल में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। अभय की स्कूली शिक्षा ईएमएमएस सेक्टर-9 और उसके बाद बीएसपी सीनियर सेकंडरी स्कूल सेक्टर-10 से हुई। यहां 1989 में 12वीं के बाद उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया। इसके बाद उन्होंने आईआईएम कोलकाता से एमबीए की डिग्री ली और फिर कई प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियों में सेवाएं देते हुए अब मुंबई में अपनी वित्तीय फर्म ए-91 पार्टनर चला रहे हैं। अभय ने एक अनूठी मिसाल पेश करते हुए आईआईटी बॉम्बे को 10 करोड़ रूपए दान में दिए थे। किसी पूर्व छात्र द्वारा आईआईटी बॉम्बे को दिया गया यह सर्वाधिक राशि का व्यक्तिगत दान है। आईआईटी बॉम्बे ने इस दान के लिए सोशल मीडिया पर भी उनका शुक्रिया अदा किया था।