फिलहाल नगर निगम के टैंकरों से यहां पानी की आपूर्ति की जा रही है। पानी की कमी के चलते बाबूओं के कमरों में कूलर नहीं चल रहे हैं और 45 डिग्री तापमान में सब बेहाल हैं। राजनांदगांव के जिला कार्यालय में ऐसी स्थिति पहली बार आई है। इससे पहले की गर्मियों में ऐसा कभी नहीं हुआ कि कलक्टोरेट का बोर सूखा हो।
बाबुओं के कमरों में लगे कूलर के लिए पर्याप्त पानी बोर से मिल जाता था और गर्मी आराम से निकल जाती थी लेकिन इस बार हालत बुरी हो गई है। 26 जनवरी 1973 को जिला बनने के बाद कलक्टोरेट का निर्माण किया गया था और यहां गार्डन में एक कुआं खुदवाया गया था। कलेक्टोरेट में पानी की जरूरतों के लिए बोर भी हुआ था। तब से बोर से पर्याप्त पानी मिलता था।
बेध्यानी से खत्म हो गया कुआं
कलक्टोरेट परिसर में एक बड़ा गार्डन बना हुआ है। इस गार्डन में एक कुआं खुदा था। काफी समय से इस कुएं में पम्प लगाकर पानी खींचा जाता था लेकिन आसपास की मिट्टी धसकने के चलते धीरे धीरे यह कुआं खत्म होने के कगार पर पहुंच गया और अब इसे मृत मान लिया गया है। समय रहते यदि कुएं के पार की मरम्मत कर ली जाती तो यह कुआं बच सकता था और गर्मी में संकट के समय में इसके पानी का उपयोग निस्तारी के लिए किया जा सकता था।
तरस रहे पानी के लिए
हर दिन कलक्टोरेट में अपनी समस्याएं लेकर बड़ी संख्या में जिले भर के लोग पहुंचते हैं। उनके पीने के लिए कलक्टोरेट में पानी तक नहीं है। अफसरों और कर्मचारियों के पीने के लिए पानी के कैन मंगाए जा रहे हैं और नगर निगम के टैंकरों के पानी का उपयोग टॉयलेट में किया जा रहा है लेकिन फरियादी पानी के लिए भटकने मजबूर हैं।
अब कर रहे यह उपाय
आने वाले समय में जल संकट से निपटने के लिए कलेक्टोरेट परिसर के पीछे हिस्से में एक सम्पवेल तैयार करने का काम चल रहा है। इस सम्पवेल में संकट के दिनों में नगर निगम से टैंकरों के माध्यम से पानी लाकर डाला जाएगा और फिर पम्प के माध्यम से इस पानी को कलेक्टोरेट में पहुंचाया जाएगा।
अफसरों के चैंबरों में तो एसी चल रहा है लेकिन बाबूओं के कमरों में गर्मी के दिनों में कूलर से ही राहत मिलती थी, जो इस बार नहीं मिल रही है। पानी की किल्लत के चलते कूलरों के नहीं चलने की वजह से गर्मी से बेहाल होकर कर्मचारी काम कर रहे हैं। सबसे बुरा हाल उपर की मंजिल के विभागों के कर्मचारियों का है। कलक्टोरेट के नाजिर शाखा से मिली जानकारी के अनुसार दो मंजिला कलेक्टोरेट में करीब 90 कमरे हैं।40 के आसपास कूलर हैं। कार्यरत कर्मचारियों की संख्या करीब 5 सौ है।