scriptVideo .. किसने कहा तीनों माइंस मिलकर नहीं होने देंगे बीएसपी का निजीकरण | Who said, the privatization of the BSP will not allow all three mines | Patrika News
भिलाई

Video .. किसने कहा तीनों माइंस मिलकर नहीं होने देंगे बीएसपी का निजीकरण

निजीकरण का डर दिखाकर एक यूनियन यूनियन चुनाव में वोट लेने कोशिश कर रही है, वह गलत है। बीएसपी कर्मचारी इन विषयों को बेहतर समझ रहे हैं.

भिलाईJul 21, 2019 / 12:40 pm

Abdul Salam

BHILAI

BHILAI

भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र को निजी हाथों में जाने से रोकने का काम तीनों खदान के कर्मचारी मिलकर करेंगे। माइंस के यूनियन ने ही किरंदुल बैलाडीला एनएमडीसी में खदान का विनिवेश रोका था। एसकेएमएस ने किरंदुल में एनएमडीसी की पहाड़ी नंबर 13 को निजी उद्योगपति समूह को सौंपने के सरकार के फैसले का लगातार आंदोलन कर पलटने पर मजबूर कर दिया। यह बात बीएसपी के अलग-अलग विभागों में दौरा के दौरान एनजेसीएस सदस्य व एसकेएमएस के अध्यक्ष कमलजीत मान ने कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में रॉ मटेरियल डिवीजन के 90 फीसदी खदानों में एसकेएमएस का कब्जा है। बीएसपी bhilai steel plant के लिए एसकेएमएस व इस्पात श्रमिक मंच के नेतृत्व वाली संयुक्त यूनियन का गठजोड़ एक अच्छा संकेत है।
51 फीसदी वोट की नहीं एकता की जरूरत
निजीकरण से लडऩे के लिए श्रमिक एकता की जरूरत है। 51 फीसदी वोट की नहीं। माइंस के नेताओं का भिलाई कर्मियों की ओर से स्वागत करना चाहिए, क्योंकि खदान की जुझारू यूनियन का संयंत्र में सक्रिय होना निजीकरण के विरोध को लेकर गंभीर होने का घोतक है।
आसान होगा निजीकरण को रोकना
संयुक्त खदान मजदूर संघ के नेता आर श्रीधर ने इस मौके पर कहा कि बीएसपी Bhilai Steel Plant को निजी हाथों में जाने से रोकने के लिए कर्मियों को उनके साथ खड़ा होना चाहिए, जिसके साथ तीनों खदान की यूनियन खड़ी है। जिससे बीएसपी को निजी हाथों में जाने से रोकने बड़े आंदोलन को आसानी से अंजाम दिया जा सके।
निजीकरण का डर दिखाकर वोट लेने की कोशिश
आर गजेंद्र ने कहा कि निजीकरण का डर दिखाकर एक यूनियन यूनियन चुनाव में वोट लेने कोशिश कर रही है, वह गलत है। बीएसपी कर्मचारी इन विषयों को बेहतर समझ रहे हैं।
पांच साल से कर रहे हैं संघर्ष
इस्पात श्रमिक मंच के अध्यक्ष भाव सिंह सोनवानी ने कहा कि यूनियन लगातार पांच साल से संघर्ष कर रही है। जिसके कारण 25 साल के ऊपर आश्रित पुत्र की चिकित्सा सुविधा और ई-जीरो परीक्षा पुन: शुरू करने में कामयाबी मिली। इंसेंटिव रिवीजन व छुट्टी के नकदीकरण का मामला अंतिम चरण में है। खदान की मान्यता प्राप्त यूनियन चाहती है कि संयुक्त यूनियन के साथ मिलकर निजीकरण का विरोध किया जाए। इस पर दोनों तैयार हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो