खुद को जनता का सेवक प्रचारित करने वाले जनप्रतिनिधियों और स्वयंभू नेता बन फिरने वाले राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं को जन समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है। रोज हजारों जिंदगियां फोरलेन पर मौत के रास्ते से गुजर रही है और जनता की जेब से टैक्स के रूप में वसूली राशि से मोटी तनख्वाह पाने वाले अधिकारियों को भी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर ये सेवक जाग रहे होते तो दो साल में 61 जिंदगियां बेमौत नहीं मरी होती। कुम्हारी से भिलाई के बीच फोरलेन पर चार स्थानों पर निर्माणधीन फ्लाई ओवर के चलते इन दिनों राजमार्ग पर सफर सुरक्षित नहीं रह गया है। यह सच है कि निर्माण के दौरान राहगीरों को थोड़ी परेशानी स्वभाविक है, लोग झेलने भी तैयार हैं, लेकिन यहां तो अधिकारियों ने आवाजाही के बजाए मौत का सुगम रास्ता बना रखा है। सरकारी खजाने से भरपूर पैसे तो स्वीकृत करा ले रहे हैं, लेकिन ठेकेदार से काम नहीं करा पा रहे।
रायपुर-दुर्ग के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग -53 (पुराना एनएच- 6) के 281 से 307.600 किमी. के बीच कुल लगभग 26.6 किमी फोरलेन पर सभी जंक्शन सहित क्रस्ट और स्ट्रेंथनिंग (सड़क निर्माण के सभी नॉम्र्स का पालन करते हुए डामरीकरण एवं मजबूतीकरण) कार्य का ठेका लताला कंस्ट्रक्शन कम्पनी, बी-19, ट्रांसपोर्ट नगर, जयपुर (राजस्थान) को दिया गया था। लगभग 45 करोड़ के इस काम को न्यूनतम बोली लगाकार लताला ने 33 करोड़ 59 लाख 98 हजार 400 रुपए में हासिल किया था।
भारत सरकार के सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से 7 जनवरी 2021 को मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग राष्ट्रीय राजमार्ग अंचल रायपुर और ठेका एजेंसी लताला कंस्ट्रक्शन के बीच निर्माण के करार (अनुबंध प्रमाण पत्र संख्या बीए 772889) पर हस्ताक्षर हुआ था। ठेकेदार लताला निर्माण कम्पनी का प्रतिनिधित्व अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता सत्य नारायण गुर्जर ने किया था।
कंपनी ने कुल निर्माण लागत का 3 फीसदी निष्पादन सुरक्षा निधि 1 करोड़ 80 हजार रुपए की बैंक गांरटी भी जमा किया। इस तरह दोनों पक्षों के बीच सभी औपचारिकताएं संतोषजनक तरीके से पूरा किया गया। इसके बाद कार्यकारी अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग रायपुर ने पूरी 26.5 किमी पूरी सड़क ठेका एजेंसी को सौंप दी। जनवरी से सितंबर 2021 तक 9 महीने इस सड़क निर्माण की मियाद थी, लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हुआ है।
शहर की इस सबसे बड़ी जनसमस्या को लेकर पत्रिका ने मुहिम चलाई तब प्रशासन की नींद टूटी। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे और एसपी बद्रीनारायण मीणा 9 सितंबर को भागे-भागे निरीक्षण करने पहुंचे। तब उन्हें याद आई कि काम समय पर पूरा करवाना है। पैचवर्क और वैकल्पिक मार्ग जरूरी है। आवाजाही में बाधिम अतिक्रमण भी हटाया जाना चाहिए। हालांकि इन बातों का बहुत ज्यादा असर उनके मातहतों पर अभी तक तो दिख नहीं रहा है। स्थिति ज्यों की त्यों है।