जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, अजमेर, आरयूएचएस बीकानेर, कोटा, झालावाड़ एवं राजस्थान मेडिकल एंड एज्युकेशन सोसायटी (राजमेस) के भीलवाड़ा, चूरू, पाली, भरतपुर चिकित्सा महाविद्यालय में आवश्यकतानुसार मानव देह उपलब्ध हो रही है।
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मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ.राजन नंदा से मेडिकल पढ़ाई में मानव देह की जरूरत को लेकर हुई बातचीत के अंश
जवाब: मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई में मानवीय संरचना को करीब से जानने,देखने व पहचाने के लिए मानव देह जरूरी होती है। प्रथम वर्ष के साथ ही द्वितीय की यहां पढ़ाई शुरू हो चुकी है। कुल २४९ विद्यार्थियों का अभी बैच है, चार वर्षीय कोर्स के दौरान मानव देह की जरूरत कही अधिक बढ़ गई है।
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सवाल: मानवदेह किस प्रवृति की होनी चाहिएजवाब: मेडिकल पढ़ाई के लिए स्वस्थ्य व्यक्ति का ही देह चाहिए, किसी प्रकार की गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति की देह काम नहीं आ सकेगी। इसी प्रकार हादसे में मृत व्यक्ति या पोस्टमार्टम हुई देह भी काम नहीं आ सकेगी।
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सवाल: मानवदेह कब तक सुरक्षित संभव है
जवाब: मानवदेह व्यस्क की होनी चाहिए, देह पर विशेष किस्म का रसायन लेप होता है, जोकि अंदर व बाहर की तरफ होता है। देह को मौसम के साथ ही कीटनाशक व रोग से बचाने की जरूरत होती है, इसके लिए शीतनकेन्द्र के साथ अन्य उपयोगी संसाधन की जरूरत होती है।
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सवाल: मानव देह के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्पजवाब: मानव देह के साथ ही यहां प्रत्येक मानव अंग जो कि शरीर का प्रमुख अंग है, उसका म्यूजिम होगा, इसमें हार्ट, लीवर, अस्थि, नाक, गला आदि अन्य अंगों के बारे में जानकारी होगी।
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सवाल: कुल कितनी मानव देह चाहिएजवाब: कॉलेज में अभी कुल पांच मानव देह है, तीन देह हाल ही उदयपुर से मंगवाई है, कुल दस मानवदेह चाहिए, प्रयास है कि इस साल मानव देह की संख्या पूरी हो जाए।
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